राम जन्म भूमि विवाद का 18 वर्षों तक फैसला नहीं आना,6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद कुछ लोगों द्वारा सरकार में बैठे कल्याण सिंह के गैर जिम्मेवाराना तथा बीजेपी तथा कांग्रेस के अपने-अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए न्याय और सामाजिक दायित्व का गला घोटने का वैसा ही परिणाम था जैसा आज देश के हर कोने में राजनितिक और भूमाफियाओं द्वारा किया जा रहा है और पूरी न्याय व्यवस्था और पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बनी देख रही है | दरअसल राम जन्म भूमि विवाद स्वार्थ के खेल का ही एक धार्मिक रूप है जिसका समाधान कोई निःस्वार्थी देश भक्त नेता या बेहद इमानदार इंसानी सोच रखने वाला जज ही कर सकता है | ये मामला दीवानी से ज्यादा इंसानियत पे स्वार्थ और गन्दी राजनीती के शर्मनाक दवाब का मामला है | ये मामला उतना बड़ा या पेचीदा नहीं है जिनता इस देश के भ्रष्ट और स्वार्थी नेताओं ने इसे बना दिया है अपने स्वार्थ के नीचे सत्य और न्याय को कुचलकर |
आज इस देश के लोगों को चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान सबको इस भूमि विवाद का हल अगर ईमानदारी से चाहिए तो स्वार्थी और लोभी राजनितिक पार्टियों तथा राम और धर्मनिरपेक्षता का चोला पहनने वाले राजनेताओं को इस देश से पूरी तरह ख़त्म करना होगा साथ ही समाज में बैठे इनके स्वार्थी एजेंटों को जूतों से पीटना होगा | ये ना तो राम के,ना ही अल्लाह के और ना ही इस देश और समाज के ये अपनी मां को भी कोठे पर बेच सकते हैं अपने स्वार्थ के लिए ,इसलिए अरे देशवाशियों इनको पहचानों ....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....
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