हमारे द्वारा पिछले दिनों दिल्ली के आतंकवादी Resident Welfare Association के जमीनी हकीकत को जानने के अभियान में ऐसे-ऐसे मानवीय यातना और प्रतारणा के उदाहरण मिले,वो भी सिर्फ नाजायज तरीके से लगाये गए माशिक शुल्क को उसूलने के लिए / इन तरीकों और उसके खिलाप उठे आवाज को दबाने के आतंकी तरीको के बारे में जानकर हमारे जेहन में एक ही सवाल आया कि, क्या दिल्ली में सरकार और न्याय का शासन है ? कम से कम हमारे हिसाब से तो नहीं है और न्याय कि दशा बेहद खराब है /
हमने पाया कि इन Association के बेहद शातिर और असामाजिक किस्म के पदाधिकारी इन Association को समाज कल्याण कि जगह, एक व्यवसाय के रूप में प्रयोग कर रहें हैं और इमानदार और न्यायप्रिय लोगों का जीना इन्होने हराम कर रखा है / ये खुलेआम कहते घूमतें हैं कि ,हम नहीं मानते किसी कानून को यहाँ तो हमारा कानून है और वो ही चलेगा ? इन दुष्ट लोगों ने निवासियों कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति को पूरी तरह बंधक बना कर रखा हुआ है / दिल्ली के मुख्यमंत्री ,उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस के मुखिया को इस ओर गंभीरता से सोचना होगा /
ऐसा नहीं है कि इनके आतंक और अमानवीय प्रतारणा कि लोग शिकायत नहीं करते हैं / अगर दिल्ली के थानों में लिखित शिकायतों के रिकॉर्ड को जांचा जाय तो लगभग ह़र थाने में इनकी शिकायत जरूर पाई जाएगी /
अब सवाल उठता है कि फिर न्याय क्यों नहीं होता ? इस विषय पर जब हमने लोगों से बात कि तो इसके पीछे लोगों में व्यवस्था और न्याय के प्रति अविश्वास तथा इन गुंडा टायप पदाधिकारियों के आतंक का हाथ होने कि बात सामने आई / लोगों ने बताया कि इनके खिलाप एक तो इनके आतंक से कोई शिकायत ही नहीं करता ,लेकिन अगर कोई हिम्मतवाला आगे आकर शिकायत करता है तो, ये वहाँ रह रहे निवासियों से हस्ताक्षर कराकर ,यह जवाब पुलिस या प्रशासन में दाखिल कर देते हैं कि "हमारे Association में किसी तरह का आतंक या अनियमितता नहीं है ,और हमने किसी को भी प्रतारित या उसका रास्ता रोककर या गाली गलौज कर मासिक सुरक्षा खर्च नहीं उसूला है" ऐसा लिखकर दे देने से ये लोग प्रशासन से बच जाते हैं और फिर ये लोग उस व्यक्ति कि फिर से प्रतारणा शुरू कर देते हैं ,जो व्यक्ति इनके धमकी या अनियमितताओं के चलते इनको मासिक शुल्क नहीं देता है / हस्ताक्षर ज्यादातर लोग इनके कुकर्मों को जानते हुए भी इनके आतंक से डरकर ,कर देते है / ज्यादातर लोग डरकर अपराधियों के खिलाप बयान नहीं दे पाते हैं /
अब सवाल यह है कि लोग इनके झूठे दावों पर दस्तखत क्यों कर देते हैं / इस मुद्दे पर लोगों का कहना था कि ये मानसिक रूप से लोगों को तोरने का काम करते हैं ,जो बड़ा ही असहनीय होता है / ऐसे में हमें यहाँ रहना है तो इनके ह़र बात को मानना ही परेगा क्योंकि ये इस तरह से प्रतारित करते है कि उसका सबूत जमा करना बड़ा ही मुश्किल है और फिर न्याय व प्रशासन भी इससे कहिं न कहिं भ्रष्टाचार कि वजह से जुड़े होने के कारण इनकी ही मदद करता है / शर्मनाक है ,यह पूरे देश कि व्यवस्था के लिए और दिल्ली में बैठे प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति के लिए भी /
अब जब हमने लोगों से पूछा कि आखिर इनको सजा और पीड़ित को न्याय कैसे मिल सकता है ,तो लोगों का कहना था कि अगर कोई निवासी मानसिक प्रतारणा और आतंकित करने कि शिकायत करता है तो ,तुरंत अगर पीड़ित और आरोपी पदाधिकारियों का शिकायत के आधार पर पुलिस और इमानदार समाज सेवकों के सामने ब्रेन्मेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट करा कर तथ्यों को खोज न्याय किया जाय तो इन पदाधिकारियों का पूरा आतंक का खेल समाप्त हो सकता है साथ ही ये जिन-जिन असामाजिक तत्वों से जुड़े हैं या उनका प्रयोग कर लोगों को आतंकित करते हैं ,उनको भी पकड़ा जा सकता है / इससे दिल्ली के कानून व्यवस्था में भी सार्थक सुधार हो सकता है /
कितना दुःख से भर गया है ,इमानदार,न्यायप्रिय,सच्चे और अन्याय के खिलाप आवाज उठाने वालों का जीवन / कितने शातिर हो गये हैं ,अपराधी,समाज के ठेकेदार Association के पदाधिकारी और असामाजिक तत्व / क्या ऐसे हालात में न्याय को जिन्दा रखा जा सकता है ? अगर हाँ तो कृपा कर अपने विचार और सुझाव जरूर बताएं /
... prabhaavashaali abhivyakti !!!
ReplyDeleteन्याय कहाँ है? मेरे भाई।
ReplyDeleteएक परिवार में पाँच आदमी के बीच एक आदमी का राशन पहुँचा कर कहा जाए कि भूख समाप्त कर दी गई है, तो क्या उस से भूख मिट जाएगी?
भारत को 60000 अधीनस्थ अदालतें चाहिए। जब कि हैं केवल 14000 आप क्यों न्याय की बात करते हैं?
Great
ReplyDeleteभारत मै जब तक आम आदमी को अपने हक ओर अधिकार का ओर अपनी सही जिम्मेदारी क एहसास नही होगा तब तक ऎसा ही होता रहे गा, अभी हम इन बातो मै बहुत ही पिछडे है जागरुकता गलत दिशा मै है
ReplyDeleteआप फ़ालतू में टाइम वेस्ट कर रहे हैं.... यहाँ ब्लॉग्गिंग में ८०% लोग नालायक हैं.... अपनी ज़िन्दगी में असफल.... यहाँ आ कर सब भोकाल टाईट कर रहे हैं.... यहाँ लोगों से बिना मतलब की बहस करा लो.... जब मौका आएगा... तो भाग खड़े होंगे... अगर आपके सवाल का ब्लॉगर जवाब दे सकते ना.... तो वो सब कहीं ना कहीं... होते.... यहाँ ज़्यादातर नालायक हैं.... %एज बता दिया है आपको.... या तो आप भी नालायक हैं... जिनके पास फ़ालतू टाइम ज्यादा है... खाली वक़्त है तो लेक्चर दे दें... ज़रा.... यही चीज़ खुल कर सामाजिक रूप से करिए.... ब्लॉग्गिंग से कौन सा तोप उखाड़ लेंगे .... आपके ब्लॉग को काफी दिनों से देख रहा था.... आप preacher ज्यादा हैं.... लीडर preacher नहीं होता.... वो सबको साथ लेकर ...चलता है.... लेकिन आपका ब्लॉग ऐसा लगता है.... कि प्रीच कर रहा है... जो आप कह रहे हो...उसे मंच बना कर कहिये.... यहाँ टाइम खो रहे हैं.... लम्बी-लम्बी बात करने से कुछ नहीं होता.... बुरा लगे तो मुआफ करियेगा...
ReplyDeleteमहफूज अली जी ,आपकी नाराजगी और गुस्सा जायज है / हम आपको यह कहने को प्रेरित कर सकें की ,आपने मुझे यह कह दिया की सामने आकर कहिये /यह मैं इस पोस्ट की सार्थकता मानता हूँ /रही बात लीडर की तो आज लीडर नहीं बल्कि जमीर को जगाने वाला विचारक चाहिए / लोगों में हौसला है और लोग आगे आ भी रहें हैं ,जिनके साथ उनकी सुरक्षा के लिए चलते हुए ही मैं इन तथ्यों पर पहुँच कर उसे उठा रहा हूँ / अब रही बात ब्लॉग के जरिये किसी मुद्दे को अंजाम तक पहुँचाने की तो मैं आपको बता दूँ की इस दिशा में मैं गंभीरता से प्रयास कर रहा हूँ,लेकिन आप सब का साथ और सहयोग चाहिए / सार्थक आलोचना के लिए धन्यवाद /
ReplyDelete@-आज लीडर नहीं बल्कि जमीर को जगाने वाला विचारक चाहिए
ReplyDeleteI agree.
न्याय जिन्दा भी है हमारे देश में??!!!!!!!!
ReplyDeleteकमाल हो गया हमको तो पता ही नहीं था
आजकल तो बस हम और आप जैसों के दिलों में जिंदा है बस।
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पड़ोसी की गई क्या?
गूगल आपका एकाउंट डिसेबल कर दे तो आप क्या करोगे?
हमने भी इस पर चिप्णी की थी उसका क्या हुआ मेरे भाई
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