भारत के राष्ट्रिय चिन्ह में सत्यमेव जयते लिखा है ,जिसका मतलब शायद सत्य कि हमेशा विजय होती है ,ही है / लेकिन क्या वास्तव में या जमीनी हकीकत भी यह कहती है कि सत्य कि हमेशा विजय होती है ? इस सवाल का जवाब उस व्यक्ति या उस सच्चे इमानदार समाजसेवकों से जाकर पूछिये, जिनको सत्य या सत्य का साथ देने पर क्या- क्या दुःख-तकलीफ झेलनी पड़ी है और कितनी कुर्बानियां देनी पड़ी है /
सारा सरकारी तंत्र और व्यवस्था इस सत्यमेव जयते को कब्र में पहुँचाने का पूरी निष्ठां से प्रयास कर रही है /आज अगर आपने कहिं यह कह दिया कि मैं सत्यवादी और इमानदार हूँ तो समझिये आपसे ज्यादा अयोग्य व्यक्ति कोई है ही नहीं / सत्य और सत्य पर आधारित जाँच या कार्यवाही किसी को पसंद नहीं ,तभी तो किसी भी घटना कि जाँच इमानदार लोगों को सौपने कि वजाय ,ऐसे लोगों को सौपीं जाती है ,जिनका जाँच और तथ्यों को खोजने से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता / झूठि जाँच के आधार पर किसी बेकसूर और असहाय को बलि का बकरा बना कर तिकरम बाज अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं और आम जनता सत्यमेव जयते के लिए तरसती रह जाती है /
बाटला हाउस कांड हो या सामाजिक साजिश का शिकार निरुपमा का कांड / खोजी पत्रकारिता और सत्य के प्रति ज्यादातर लोगों का लगाव खत्म होने से सत्य का पता तो लग पाना अब एक सपना सा लगता है /
जरा सोचिये यह सरकार जिसका पहला कर्तव्य है कि सत्य कि खोज कर असल गुनाहगारों को सजा दिया जाय / वही बड़ी बेशर्मी से ,बाटला हाउस कांड कि न्यायिक जाँच को सिरे से नकार रही है / ऐसा करके वो ना सिर्फ सत्य का गला घोंटने का काम कर रही है ,बल्कि उन लोगों के दावों को और मजबूत बना रही है ,जिनका दावा है कि ये मुठभेर फर्जी और प्रायोजित था / सरकार का सत्य के प्रति ऐसा रवैया न्याय का भी खून करने का काम करती है ,होना तो ये चाहिए था कि सत्य के लिए और सत्य पे आधारित न्याय के लिए सरकारी खजाने का दरवाजा पूरी तरह खोल दिया जाता और सत्य कि रक्षा के लिए अलग से एक सामाजिक जाँच का भी प्रावधान कर देश के शिक्षित ,इमानदार,बुद्धिजीवियों,पत्रकारों और समाजसेवकों को भी इस कार्य के लिए सहयोग करने का आग्रह किया जाता / आज देश और समाज कि जो हालात हैं , उसमे सत्य कि रक्षा के लिए ठोस उपाय करना बहुत जरूरी है ,नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब सत्यमेव जयते को लोग झूठमेव जयते के रूप में पहचानने के लिए दिमागी तौर से तैयार हो जायेंगे /
इन सब हालात और सरकारी निकम्मापन को देखते हुए ,क्यों न हम लोग सत्यमेव जयते कि रक्षा के लिए अपने स्तर पे ह़र महीने में एक दिन "सत्यमेव जयते डे "के रूप में मनाकर ,उसे ह़र उस झूठ कि पोल खोलने के लिए इस्तेमाल करें ,जो हमारे आस-पास में सरकार या किसी असामाजिक तत्व द्वारा अपनाया गया है ,साथ ही इस दिन को हम अपने-अपने क्षेत्र में,सत्य के लिए लड़ रहे लोगों को ,एकजुट होकर तन,मन और धन से सहायता भी पहुँचाने का काम करें / मेरे ख्याल में ह़र महीने का 11 तारीख इसके लिए सबसे उपयुक्त रहेगा / जो भी हो ,सत्यमेव जयते कि रक्षा हम सब को मिलकर ही करना होगा ,क्योंकि सरकार तो इसकी रक्षा करने से रही / इसके लिए आज ही सोचिये और अपने क्षेत्र के लोगों को एकजुट करिये,आपका प्रयास ही सत्य और आपको बचा सकता है /
main aapke vichar se sehmat hun...ek din aisa bhi ho jab ham har sach ek doosre ke saamne rakh sakein na sirf rashtriya par niji bhi...
ReplyDeleteबहुत सही लिखा आप ने.
ReplyDeletebahut badhiya lekh.
ReplyDeleteयह फर्क है सत्य के होने और उसे समझे जाने के बीच का।
ReplyDelete...बात में दम है !!!
ReplyDeleteआपसे बिल्कुल सहमत हूँ .....आभार !!
ReplyDeleteजहाँ राजनेता सत्य का हनन करने के लिए ही जान लेते हैं, प्रशासक झूठ को ही अपना धर्म मानते हैं, जनता उनसे प्रेरणा लेती हुई असत्य आचरण पर तुली बैठी हो, वहाँ एक निर्जीव प्रतीक क्या कर सकता है
ReplyDeleteआप लगातार अच्छे मुद्दों पर काम कर रहे हैं। बड़ा अच्छा लगता है आप जैसे लोगों की सक्रियता को देखकर। कभी वक्त निकला तो आपसे फोन पर चर्चा जरूर करना चाहूंगा। फिलहाल तो मेरी शुभकामनाएं और बधाई।
ReplyDeletenice
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