जिसकी जान लेने कि कोशिस कि गयी वही और उसका परिवार आतंकित है ,निश्चय ही यह इंसानियत और मानवता के लिए शर्मनाक है / पिछले दिनों हमारा सामना एक ऐसे घटना से हुआ है / जिससे हम यह पोस्ट लिखने के लिए बाध्य हुए हैं / हुआ ये कि 13 मई के रात 08:30 से 09:30 के बीच श्री वेश्य जो कि हमारे पडोस के 117 नंबर फ्लेट में रहते हैं / पर कुछ अज्ञात हमलावरों ने जान लेवा हमला कर दिया / शायद हमलावर उनकी जान लेना भी चाहते थे ,लेकिन वो कहते हैं न कि जाको राखे साईया मार सके न कोई ,उनका जिन्दा बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं / आज श्री वेश्य और उनका परिवार इतना डरा और आतंकित है कि उसे किसी से अब न्याय का आशा नहीं रहा और वह कुछ भी ऐसा बयान या नाम नहीं लेना चाहते ,जिससे समाज में आतंक फ़ैलाने वाले उनपर दुबारा हमला कर उनको पूरी तरह खत्म कर दे / दरअसल ये हमला सिर्फ श्री वेश्य पर नहीं बल्कि पूरी कानून और न्यायिक व्यवस्था पर है ,इसी तरह के हमलों से और ऐसे हमला करने वालों को नहीं पकड़ने से ही समाज में आतंक और भय का माहौल बनता जा रहा है और कानून व्यवस्था से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है / मुझे लगता है हम और हमारी पुलिस जानबूझकर ऐसे लोगों को पकड़ना नहीं चाहती,जरा सोचिये कोई पुलिस का बड़ा अधिकारी अगर श्री वेश्य को यह विश्वास दिला पाता कि "आप घबराएँ नहीं आप सच-सच बताइए,आपका कुछ नहीं बिगार पायेगा कोई ,हम आपके साथ हैं " तो शायद श्री वेश्य और उनके परिवार को भी आतंक के खिलाप लड़ने में कुछ ताकत मिलता / लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा किसी भी पुलिस अधिकारी ने नहीं किया / रही बात शांति अपार्टमेन्ट के निवासियों कि ,तो पता नहीं ,उनको किसका डर और भय सता रहा है ,एक दो व्यक्ति को छोड़कर कोई श्री वेश्य के अस्पताल से वापस आने के बाद उनका मानवता के नाते हाल-चाल भी पूछने नहीं गया /
अब सवाल ये कि क्या ऐसे हमलों में ---
*अगर कोई पीड़ित डर और आतंक से कार्यवाही नहीं करना चाहता तो, क्या कार्यवाही नहीं होनी चाहिए,दोषियों को पकड़ा नहीं जाना चाहिए ?
*क्या ये सिर्फ श्री वेश्य पर हमला है या पूरे समाज को आतंकित करने कि साजिश है ?
*क्या कानून और प्रशासन का ये फर्ज नहीं बनता कि किसी भी कीमत पर ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को पकड़ा जाय ?
*क्या दिल्ली पुलिस के मुखिया को खुद आकर श्री वेश्य का हाल-चाल पूछकर उनके साथ हुए इस घटना कि जाँच कि खुद निगरानी नहीं करनी चाहिए ?
*क्या ये न्याय का तकाजा नहीं कि एक पीड़ित व्यक्ति ही अपनी व्यथा व्यक्त करने में आतंक अनुभव कर रहा है तो देश का राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री और न्याय का सर्वोच्च मूर्ति को भी श्री वेश्य को न्याय दिलाकर समाज में आतंक और भय का वातावरण फ़ैलाने वालों को सख्त से सख्त सजा देने का प्रयास करना चाहिए,जिससे ऐसी शर्मनाक स्थिति को रोका जा सके / ये सिर्फ श्री वेश्य पे हमले का ही मामला नहीं बल्कि समाज में आतंक और भय के व्याप्त होने का गम्भीर मामला है /
हम यहाँ सबसे इंसानियत के नाते आग्रह कर रहें हैं कि आप चाहे पुलिस अधिकारी हों ,देश के प्रधानमंत्री हों ,देश के राष्ट्रपति हों , देश के सर्वोच्च न्याय मूर्ति हों या आम नागरिक / इस हमले के लिए जिम्मेवार व्यक्ति को पकड़ने और उसे सख्त से सख्त सजा दिलाने में अपना हर संभव सहयोग दें क्योंकि यह सिर्फ श्री वेश्य का मामला नहीं है बल्कि सामाजिक आतंकवाद का भी मामला है / जब आतंक से लोगों कि जुबान बंद हो जाती है तो कुछ लोग भगवान के रूप में न्याय करने आते हैं / याद रखिये हमलावर अगर आपका भाई भी है तो उसके खिलाप खड़े हो जाइये ,नहीं तो वह आपके ऊपर भी हमला एक न एक दिन जरूर करेगा / हमारी इस मुहीम का मकसद सिर्फ और सिर्फ हमलावर को पकड़कर सजा दिलाना है / क्योंकि ऐसे हमलावर पूरी इंसानियत के दुश्मन हैं ,यही बात पुलिस वालों को भी समझना चाहिए और इंसानियत को अपने कर्तव्य से भी बड़ा समझना चाहिए /
सभी ब्लोगरों से हमारा आग्रह है कि आप सब भी निम्नलिखित ईमेल पर ईमेल कर इस मेसेज को भेजकर / इंसानियत के नाते इस घटना के लिए जिम्मेवार लोगों को पकड़ने के लिए अपनी-अपनी तरह से आग्रह करें -ड्राफ्ट जो ईमेल करना है वह इस प्रकार है-----
"दिनांक 13 -05 -2010 के रात्रि लगभग 08 :30 से 09 :30 बजे के बीच नरेला थाना ,दिल्ली-40 के अंतर्गत आने वाले शांति अपार्टमेन्ट ,सेक्टर-A -5 ,पॉकेट-13 के फ्लेट नंबर 117 में श्री V.R वेश्य पे जान लेवा हमला हुआ इसकी ईमानदारी से जाँच कर जल्द से जल्द दोषियों को पकड़कर सजा देने का प्रयास करें / इंसानियत और पूरी व्यवस्था के लिए शर्मनाक है कि ,आज एक हफ्ता बाद भी हमलावरों को पकड़ा नहीं गया है / श्री वेश्य व उनके परिवार कि समुचित सुरक्षा कि भी व्यवस्था तुरंत करें /"
इसे ईमेल करने के लिए कॉपी पेस्ट कर सकते हैं /
इसे ईमेल करने के लिए कॉपी पेस्ट कर सकते हैं /
कुछ ईमेल जिस पर ईमेल कर आपलोगों को इंसानियत के नाते आग्रह करना है -
presidentofindia@rb.nic.in ये राष्ट्रपति जी का ईमेल है /
pmosb@pmo.nic.in ये प्रधानमंत्री जी का ईमेल है /
vpindia@sansad.nic.in ये उपराष्ट्रपति जी का ईमेल है /
vpindia@sansad.nic.in ये उपराष्ट्रपति जी का ईमेल है /
ys.dadwal@nic.in ये दिल्ली पुलिस के कमिश्नर जी का ईमेल है /
jtcp-crime-dl@nic.in ये संयुक्त आयुक्त अपराध जी का ईमेल है /
dcp-northwest-dl@nic.in ये उपायुक्त उत्तर-पश्चिम दिल्ली जी का ईमेल है /
आशा है आप लोग इंसानियत पे हुए हमले और समाज में आतंक व भय के खिलाप हमारे इस मुहीम में जरूर हमारा साथ देंगे / सूत्रों से पता चला है कि अभी तक श्री वेश्य को FIR कि कॉपी भी नहीं दी गयी है / राम जाने ये दिल्ली कि पुलिस ने FIR दर्ज भी किया है या नहीं / अगर नहीं दर्ज किया गया है तो ,ये पूरे मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है और इसके लिए जिम्मेवार लोगों को भी सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए /
jtcp-crime-dl@nic.in ये संयुक्त आयुक्त अपराध जी का ईमेल है /
dcp-northwest-dl@nic.in ये उपायुक्त उत्तर-पश्चिम दिल्ली जी का ईमेल है /
आशा है आप लोग इंसानियत पे हुए हमले और समाज में आतंक व भय के खिलाप हमारे इस मुहीम में जरूर हमारा साथ देंगे / सूत्रों से पता चला है कि अभी तक श्री वेश्य को FIR कि कॉपी भी नहीं दी गयी है / राम जाने ये दिल्ली कि पुलिस ने FIR दर्ज भी किया है या नहीं / अगर नहीं दर्ज किया गया है तो ,ये पूरे मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है और इसके लिए जिम्मेवार लोगों को भी सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए /
... अपराधियों को दण्ड मिलना ही चाहिये !!!
ReplyDeleteबहुत जरुरी है की कानून और न्यायिक व्यवस्था का डर हो, आज अपराधियों के मनोबल बढ़ते जा रहे हैं... सिर्फ इसलिए की उन्हें डर दिखाने वाला व्यक्ति/विभाग ठीक से पेश आता ही नहीं है.
ReplyDeleteइमेल भेज दिया है मैंने. धन्यवाद!
ReplyDeleteशायद इस देश की न्याय व्यवस्था सही हो सके!
ReplyDeleteइस मुहिम में हम आपके साथ हैं!
झा जी, अपराधियों को दंड मिलना ही चाहिए. वैश्य जी का परिवार इतना डरे हुए हैं, की स्वयं इनकी पत्नी ने मुझे उनके बारे में समाचार पत्रों में लिखने के लिए मन किया. हालाँकि इतनी बुरी तरह घायल होने के बाद भी वैश्य जी बिलकुल भी नहीं डरे हैं, लेकिन परिवार की अपनी सीमाएँ हैं. मुझे लगता है, इसमें ब्लॉग जगत के लोगो को भरपूर सहयोग करना चाहिए. केवल कलम चलने की जगह यथार्थ के पटल पर उतर कर वैश्य जी की आवाज़ को बुलंद करना चाहिए.
ReplyDeleteदिल्ली राजधानी है। यहां जो होता है उसे देश भर के लिए नज़ीर माना जाता है। सरकार को आदर्श स्थिति कायम करनी चाहिए।
ReplyDeleteआप ने बहुत अच्छा काम किया है, देश मै पता नही अब क्यो ऎसा होने लग गया है एक शरीफ़ आदमी चेन से ओर शंति से भी नही रह सकता, चलिये हम भी मेल भेजते है
ReplyDeleteजब मालिक को भूलकर समाज जीना चाहेगा तो वह जी तो पाएगा नहीं अलबत्ता नित नई समस्याएं ज़रूर खड़ी हो जाएंगी । हरेक नेक पाक काम में हम आपके साथ हैं । आपने आवाज़ लगाई लीजिए हम हाज़िर हैं ।
ReplyDeletehttp://blogvani.com/blogs/blog/15882
आप सब लोगों का बहुत-बहुत आभार जो आप लोग पूरे मन से इस मुहीम में शामिल हुए / आपलोगों से एक बार फिर आग्रह की आप लोग ईमेल से देश के रखवालों को ईमानदारी से जाँच करने और श्री वेश्य को सुरक्षा देने के लिए मानवीय आधार पर विनती जरूर करें /
ReplyDeleteआपकी कोशिश काबिले तारीफ है। हमें एकजुट होकर ही चलना होगा और साथ ही हम आपके साथ हैं। ई मेल देने का शुक्रिया।
ReplyDeleteआपकी समाजसेवा के तरीके से बहुत प्रभावित हूँ.. निश्चित ही आपके समर्थन में एक मेल मेरा भी होगा.. वैश्य जी को न्याय मिलना ही चाहिए..
ReplyDeleteबहुत विचारोत्तेजक और संवेदनशील पोस्ट....
ReplyDeleteक्या आप वैश्य जी से मिले। उन्होंने यह तो बताया ही होगा कि कौन लोग क्यों उनके जान के पीछे लगे है। आखिर उनका शक किसी पर तो होगा ही। क्या कारण है पूरा ब्यौरा तो पता चले।
ReplyDeleteमैं किसी भी मामले में हाथ डालने के पहले पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता हूं।
आप वैश्य जी से मिलकर उनकी राय भी जान ले। कई बार हमले के कारण बेहद निजी होते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उनके साथ गलत नहीं हुआ लेकिन उनकी मंशा का भी तो पता चलना चाहिए।
हमले का कारण तो वैश्य जी तो जाहिर तौर पर जानते होंगे.. कृपया पूछकर बताए।
हम भी शामिल हैं , सजा मिलनी ही चाहिए ।
ReplyDeleteकाबिले-ए-तारीफ़ प्रयास।
ReplyDelete@ सोनी जी प्रश्न करने के लिए धन्यवाद ,
ReplyDeleteहमने साडी बातों की विवेचना की है और श्री वेश्य ने भी पुलिस को सबकुछ बता दिया है,लेकिन पुलिस कुछ सार्थक करना चाहे तब तो ,इसमें सीधा अगर पुलिस के इमानदार अधिकारीयों ने कार्यवाही नहीं की तो हम इतना पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं की इंसानियत हार जाएगी और हैवानियत जीत जाएगी और ऐसी स्थिति तो किसी भ्रष्ट मंत्री के लिए भी शर्मनाक है तो एक आम इन्सान की क्या बात करें / इसमें पुलिस के आला अधिकारियों को मानवता के नाम पर ईमानदारी से जाँच करने की जरूरत है
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपने आवाज़ लगाई लीजिए हम हाज़िर हैं ।
ReplyDeleteहमने भी मेल कर दिया है और उसकी एक प्रति आपको भी अग्रेषित किया है।
ReplyDeletesarthak pahal
ReplyDeletefirdaus ke comment ko dikhaya jay ....
ReplyDeleteAAKHIR KYON FIRDAUS KE COMMENT KO DELET KIYA GAYA HAI...
ReplyDeleteFIRDAUS KE COMMENT DELETE KIYA AAPNE.. ???
KOI REASON.. PLEASE EXPLAIN
@गणेश जी
ReplyDeleteहम भी आपकी तरह अचंभित हैं फिरदौस के कमेन्ट के डिलीट होने से / हमने ईमेल कर फिरदौस से इसकी वजह जानने का प्रयास किया है / क्योकि ये खुद फिरदौस ने डिलीट किया है / हमारी और से डिलीट नहीं किया गया है / वैसे यह फिरदौस का अपना निर्णय हो सकता है ,लेकिन मैंने वजह जानना चाहा है / जवाब आते ही आपलोगों को बताऊंगा ,क्योकि हम भी वजह जानना चाहते हैं /
बजह हम बताते हैं एक देसभक्त कैसे ये बरदाश कर सकती है कि कोइ आतंकवादियों व देशविरोधियों का ठेकेदार आतंकवादी ठीक उसके समाने आकर अपना वकवास लिखे.
ReplyDeleteजरा आप खुद पढ़ों कि फिरदौस से ठीक आगे लिखी टिप्पणी आपकी पोस्ट से मेल खाती है नहीं न
अब आप खुद तय करो कि आपको क्या करना चाहिए?
mai apke sath hu.n
ReplyDelete9336196080
@सुनील दत्त जी
ReplyDeleteआपके विचार अपनी जगह किन्ही कारणों से ठीक हो सकता है लेकिन यह तो हमारा इंसानियत के लिए सबसे आग्रह था और इसमें हमें आपसी मतभेद को दूर रखना चाहिए / हमारा आग्रह है की आप लोग इंसानियत के मुद्दे पर एकजुट रहें और एकजुटता ही इंसानियत को बचा सकता है ,आगे आप सब समझदार हैं / ईमेल करना न भूलें इंसानियत के वास्ते /
क्या आज पुलिस इस काविल बची है कि खुद कोई कार्यावही कर सके।आज पुलिस दो गांव के चुने हुए नेता का सामना तक करने के काविल नहीं बची है विधायक और सांसद की तो बात ही छोड़ दिजीए।
ReplyDeleteक्या आप देख नहीं रहे हैं कि किस तरह मुंबई में अंडरबर्ड से निपटने वाले सार्प सूटरों को अपनी नौकरियों से हाथ धोकर जेल की हबा खानी पड़ी ।किस तरह गुरात में आतंकवादी सोरावुद्दीन व बदमाश सुलसीप्रजापति को ठिकाने लगाने वाले पुलिस अधिकारियों को जेल में डालकर यातनायें दी जा रही है। और देखना है तो कशमीर में देख लो जहां आतंकवादियों को मार गिरोने वाले सैनिकों को उस पुलिस के हवाले किया जा रहा है जो खुद आतंकवादियों से भरी पड़ी है।क्या आपको लगता है कि ये सब पुलिस कर रही है नहीं जी ये सब करवाने वाले हैं आतंकवादियों ,बदमाशों,अंडरबर्ड व गद्दारों के प्रति समर्पित जनता द्वारा चुने गए नेता।
आपकी बात एक दम सही है कि अपराधियों को सजा मिलनी ही चाहिए पर से सब समभव है बयबस्था परिबर्तन के वाद
@honesty project democracy said
ReplyDeleteअगर आप समझते हैं कि हर वक्त इनसानियत का कतल करने वाले आतंकवादियों का समर्थन करने वाले लोग नयाय दिलवा सकते हैं तो माफ करना जी हम आपकी इस सोच से सहमत नहीं हो सकते ।आपका वक्त लिया उसके लिए क्षमा चाहेंगे।
दोषियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए...
ReplyDelete'हैवानियत' के ख़िलाफ़ 'इंसानियत' की हर मुहिम में हम जैसे काफ़िर आपके साथ हैं...
काफ़िर इसलिए लिखा है कि इंसानियत की बात करने पर भाई ने कहा था कि हम इंसान तो हो सकते हैं, लेकिन 'मुसलमान' नहीं... अब जो 'मुसलमान' नहीं है वो 'काफ़िर' हुआ या नहीं... हम अल्लाह और उसके बन्दों से स्नेह रखने वाले 'काफ़िर' हैं...
फिरदौस जी आपने दुबारा इस इंसानियत की मुहीम में हमारा साथ दिया इसके लिए हम आपके ऋणी हैं / आपको कभी भी इंसानियत की लड़ाई में हमारे जैसे ना चीज के सहयोग की जरूरत पड़े तो एक इन्सान समझकर जरूर खोजिएगा / एक बार फिर आपका धन्यवाद / आप ईमेल करना ना भूलें इस घटना के जल्द से जल्द ईमानदारी से जाँच और श्री वेश्य व उनके परिवार की सुरक्षा के लिए /
ReplyDeleteआप जिस नेकदिली से इस प्रयास में जुटे हैं, साथ ही समाज को भी राष्ट्र के प्रति एकजुटता के सूत्र में बाँधने का जो बीडा आपने उठाया हैं.. इन सब के लिए आप सचमुच साधुवाद के पात्र हैं.....उपरोक्त घटनाक्रम के बारे में पढकर वाकई बेहद दुख हुआ और क्षोभ भी...इसे देश का दुर्भाग्य कहा जाए या राष्ट्र संचालकों की अकर्मणयता, नीतिविहीनता या फिर देश का कानून ही अन्धता के साथ साथ मूक बधिर भी हो चुका है..कि जिससे एक पीडित इन्सान की न्याय की पुकार भी नहीं सुनी जा रही....
ReplyDeleteखैर.. अपने इस प्रयास में हमें भी सम्मिलित जानिए....अभी मेल किए देते हैं.
जहां कानून घोंघा हो और कानून के रक्षक घाघ वहां और क्या हो सकता है. जनाक्रोश किसी दिन फट पड़ा तो बहुत बुरा भी हो सकता है.
ReplyDelete'कोऊ नरिप होऊ हम ही का नाही ' तुलसी जी की यही विचारधारा ने सारे के सारे भारतीय समाज को किरंकुश बना डाला। जिन राजनेताओं को हम चुनते हैं व्ही संवेदनहीन हैं और पुलिस तो भ्रष्ट संस्था है जो इन राजनेताओं के साथ मिल कर आम जनता को लूटने और प्रताड़ित करने में व्यस्त है। जो लोग संसद पर हमले के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सजायाफ्ता अफज़ल को सज़ा नहीं दे पाए आप उनसे क्या उमीद लगा सकते हैं।
ReplyDeleteबहुत सही बात उठाई आपने...
ReplyDelete_____________________
'पाखी की दुनिया' में 'अंडमान में आए बारिश के दिन'
bahut acchhi shuruaat hai ham aapke sath hain.
ReplyDeleteअपराधियों को दंड मिलना ही चाहिए
ReplyDeleteकमाल का कार्य और अन्याय के खिलाफ लड़ने का जज्बा के लिए हार्दिक शुभकामनायें झा जी !
ReplyDeleteझा जी, कहाँ है आप.... ३ साल हो गए आपके अज्ञातवास को..
ReplyDeleteशुभेच्छा..