Sunday, July 25, 2010

इंसानियत कि पाठशाला व संस्थान कि आज इस देश को सख्त जरूरत है ....क्या आप खोलना चाहेंगे ऐसी पाठशाला....?

एक सच्चा इंसान और इस महान देश के महान राष्ट्रपति ,जिन्होंने भ्रष्टाचार के पैसों को कोई अहमियत ना देकर देश व समाज कि ईमानदारी भरी सेवा को अहमियत दी | राष्ट्रपति का पद ऐसे व्यक्तियों से गरिमामय हुआ ,आज ऐसे व्यक्तियों से प्रेरणा लेने कि जरूरत है देश के सभी उच्च संबैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को |

आज देश के सभी जिलों और गांवों में यहाँ तक कि देश के राजधानी दिल्ली में भी ऐसी ही दर्दनाक अवस्था है इंसान कि | पूरे देश और इंसानियत के लिए शर्मनाक है ऐसी अवस्था |

देश में सभी जनकल्याणकारी  व गरीबों के उत्थान क़ी नीतियों का यही हाल है | देश के प्रधानमंत्री योजना आयोग के अध्यक्ष हैं लेकिन ईमानदारी से देश के ह़र जिलों के विकाश का एक बार भी सामाजिक जाँच करवाने क़ी उन्होंने कभी कोशिस नहीं है | बिना सामाजिक जाँच के विकाश सिर्फ एक ढोंग और भ्रष्टाचार का रूप बनकर रह गया है | ह़र सरकारी कार्यों क़ी  सामाजिक जाँच जब तक जरूरी नहीं बनाया जायेगा और इसके लिए सच्चे,अच्छे,इमानदार व देश भक्तों को साधन व संसाधन मुहैया नहीं कराया जायेगा तब तक इस देश का सच्चा विकाश नहीं होगा |

सभी मानवीय सहायता व कल्याण के धन पर देश के लोभी-लालची लोगों का पूरी तरह कब्ज़ा है | इमानदार व कर्मठ लोगों को कोई भी सहायता बिना रिश्वत के नहीं मिलती जिससे देश के असल नागरिकों का जीवन स्तर बद से बदतर होता जा रहा है , जब क़ी भ्रष्ट अधिकारी,जनप्रतिनिधि  व गरीबों का खून चूसने वाले दलालों का गठजोर पूरे धन का उपयोग कर एय्यासी कर रहें हैं | इस देश में सरकार व सरकारी व्यवस्था एक प्रश्न चिन्ह बनकर रह गयी है |
तिरंगा अब भ्रष्टाचार और उच्च संबैधानिक पदों पर बैठे निकम्मे लोगों क़ी वजह से खून के आंसू रो रहा है | पूरा गणतंत्र खतरे में है तथा पूरी व्यवस्था सड़ चुकी है |




हमारे देश और समाज कि अवस्था बेहद दर्दनाक व भयानक होती जा रही है | सामाजिक परिवेश इस तरह दूषित हो चुका है कि ह़र कोई विश्वास का गला घोंटकर अपना स्वार्थ साधने को अपनी काबिलियत व योग्यता समझने लगा है | लानत है ऐसे काबिल और योग्य लोगों पर जो इंसानियत का क,ख,ग  भी नहीं जानते | सबसे बड़े मुर्ख है वे लोग जो बन तो गए हैं IAS ,IPS ,IRS ,इंजिनियर,डॉक्टर,प्राचार्य,मंत्री विधायक और भी ना जाने कौन-कौन सी उच्च पदों पर बैठ गये हैं लेकिन उनमे मानवता और इंसानियत नहीं होने से ऐसे लोग ना सिर्फ इन सामाजिक व मानवीय कल्याण के पदों को बदनाम कर रहें है बल्कि इनके कुकर्मों से नित्य इंसानियत शर्मसार होती है | ऐसी अवस्था पूरे मनुष्य जाती के लिए बेहद खतरनाक है |

इन सारी बातों को देखते हुए आज जरूरत है हर शहर में इंसानियत के पाठशाला और संस्थानों कि जो सच्ची इंसानियत कि पाठ पढ़ाने का दुष्कर कार्य को अंजाम दे सके ,क्या आप खोलना चाहते हैं ऐसी  पाठशाला व संस्थान ..? 

मैंने तो सोच लिया है ऐसा एक पाठशाला या संस्थान चलाने कि इसमें हमें सरकारी सहायता कि आशा तो नहीं है लेकिन सच्चे और इमानदार इन्सान के हार्दिक सहयोग कि मुझे पूरी आशा है | 

इस पाठशाला या संस्थान में क्या-क्या मिलेगा और उसके आर्थिक आधार क्या होंगे तथा यह कैसे काम करेगा .....

इस पाठशाला या संस्थान के कार्य ....

1 -सबसे पहले देश के हर जिले के DM और SP से मिलकर उनको इंसानियत के लिए ईमानदारी से काम करने को प्रेरित करेगा और उनको समझायेगा कि आप जो ये भ्रष्टाचार के जरिये दौलत जमा कर रहें है उसके बाद भी  अगर आपका बच्चा एक इन्सान नहीं बन पाया तो वह आपके और समाज के साथ क्या-क्या करेगा उसकी आपने कल्पना कि है  ? ऐसे ही कुछ प्रश्नों के सवाल जवाब से इन दोनों ,देश व समाज के विकाश के अति महत्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों को सच्चा इन्सान बनाने व इंसानियत को जिन्दा करने के लिए आगे आने को प्रेरित करने का प्रयास करेगा | अगर इस काम में 25% भी सफलता हाथ लगी तो यकीन मानिये इस देश व समाज का बहुत भला होगा | जन-जन को यह भी महसूस कराने कि जरूरत है कि अब अंग्रेजों का शासन नहीं है इसलिए DM और SP को अपना सेवक समझ कर उसे सेवा करने में  इमानदारी बरतने का एकजुट होकर आदेश दें और उनके कार्यों कि निगरानी भी करें |

2 - हर शहर व गांवों में इंसानियत के पाठशाला व संस्थान के माध्यम से सभा का आयोजन कर लोगों को यह सिखाने कि कोशिस कि जाएगी कि अगर आपको किसी ने लूटा और ठगा है या रिश्वत ली है तो आप उसकी भरपाई किसी को लूटकर,ठगकर या भ्रष्टाचार को अपनाकर नहीं बल्कि उस लूटेरे ,ठग व भ्रष्टाचारियों को अपनी जान कि बाजी लगाकर पकड़ें और उसे सामाजिक व न्यायिक सजा दें या दिलाने के लिए एकजुट हों | इस काम के लिए लोगों को समझाना होगा कि इस काम में अगर आपकी जान चली जाती है तो आपको शहीद का दर्जा देकर आपके पैत्रिक गांव में आपकी एक मूर्ति कि स्थापना कि जाएगी | ऐसा करने से लोगों में बुराई के खिलाप लड़ने के जज्बों को ना सिर्फ सम्मान मिलेगा बल्कि उसमे अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी होगी | बिना निडरता के कोई भी अच्छा व सच्चा काम किया ही नहीं जा सकता | कास इस तरह का काम सरकार या सरकारी एजेंसियां ईमानदारी से 62 वर्षों से करती तो इस देश व समाज को पूरे विश्व में आदर्श  माना जाता | 

आज लोगों को यह समझाना  बहुत जरूरी है कि किसी को ठगकर ,भ्रष्टाचार को अपनाकर,किसी इंसानियत को शर्मसार करने वाले धंधे को करके  या किसी के साथ विश्वासघात करके जीना तो मरने से भी बदतर है | इंसानियत को जिन्दा करके तथा उसकी सुरक्षा करके ही हमसब सुरक्षित रह सकते हैं |

3 -देश के सभी महाविद्यालयों में जाकर छात्र और छात्राओं को इसके लिए प्रेरित करना कि आप इस देश,समाज और इंसानियत के भविष्य हैं इसलिए आप निडर होकर सबसे पहले इस देश और इस देश के गरीबों का खून चूसने वाले भ्रष्ट लोगों के खिलाप लड़ाई को एकजुट होकर प्रतिदिन कम से कम तिन घंटे जरूर दें यह लड़ाई एकजुट होकर RTI दायर करना ,प्रशासन को कार्य कि गुणवत्ता को बनाये रखने में जमीनी स्तर पे सहयोग व सुझाव देना,प्रशासन को जनकल्याणकारी योजनाओं को असल जरूरतमंद लोगों तक बिना किसी रिश्वत के पहुँचाने के लिए बाध्य करना ,जिले के न्यायिक अधिकारियों को जिले में फैले भ्रष्टाचार व अनियमितता को जनहित में अवगत कराकर उसपर दोषियों के खिलाप न्यायसंगत व तर्कसंगत कार्यवाही का आग्रह करना इत्यादि के साथ हर आम और खास को अपनी नागरिक जिम्मेवारियों को निभाने तथा सामाजिक जाँच कर व्यवस्था को सही करने के लिए शिकायत व सुझाव प्रतिदिन लिखने व उसपर प्रशासन कि कार्यवाही का जवाब भी हर हाल में मांगने  के लिए सुरक्षा व सहायता चक्र बनाना जिससे ऐसा करते हुए कोई असहाय और असुरक्षित ना महसूस करें |  असल में शिक्षा का मूल उद्देश्य यही होना चाहिए इससे अच्छे चरित्र का भी निर्माण होगा |
4 - घर-घर जाकर लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करना और समझाने का प्रयास करना कि लोभ-लालच सारी बुराइयों का मूल है इसलिए अपनी जरूरत से ज्यादा धन को जमा करना अपने सात पुश्तों के लिए सुख नहीं बल्कि दुखों को जमा करने के सामान है | क्योंकि ज्यादा धन बिना बेईमानी व इनसानियत को धोखा दिए कमाया नहीं जा सकता और धोखे से कमाए गये धन से पल बढ़ रहे बच्चों में सदबुद्धि आ ही नहीं सकती और कुबुद्धि तो इन्सान के स्वयं  का सर्वनाश कर देता है तो सात पुश्तों कि खुशियों कि उम्मीद करना मुर्खता है | इसलिए हर व्यक्ति को अपनी जरूरत से ज्यादा धन को गरीबों व असल जरूरतमंदों में बाँट देना चाहिए ऐसा करके ही हम इस देश और समाज को इंसानों के रहने लायक बना सकतें है तथा अपने सात पुश्तों के लिए सुख और खुशियों के  संसार का निर्माण कर सकतें हैं | 

इन पाठशाला या संस्थानों के आर्थिक आधार के लिए सरकारी धन को लूटने वालों से सरकार को जो धन वापिस मिलेगा इन पाठशाला या संस्थानों के कार्यों व प्रयासों के चलते उसका कुछ हिस्सा हम सरकार से मांगने का प्रयास करेंगे | वैसे ह़र गांव व शहर के लोग चाहें तो एकजुट होकर इसके लिए आर्थिक आधार बना सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से उनके द्वारा रिश्वत व दौर-भाग पे जो खर्च आता है वो बचेगा तथा नागरिक सुविधाओं में सुधार होने से भी उनका पैसा बचेगा जिसका कुछ हिस्सा अगर सबलोग स्वेच्क्षा से देने को ह़र महीने तैयार हों तो ह़र गांव और शहर में ऐसे पाठशाला या संस्थान को खोलकर इंसानियत क़ी पाठ को पढ़ाने क़ी शुरुआत क़ी जा सकती है | सिर्फ जरूरत है ह़र गांव और शहर में एक इमानदार व्यक्ति द्वारा पहल करने क़ी ,आप अगर चाहेंगे तो हम आपकी सहायता के लिए आपके गांव और शहर अपने खर्चे पे आकर आपको सहायता भी देंगे और आपके जिले के DM और SP से भी आपके इस नेक काम में सहयोग का आग्रह भी करेंगे | हम देश भर में अच्छा और सच्चा काम कर रहे लोगों को सम्मानित करने के लिए आधे घंटे के एक टीवी प्रोग्राम बनाने पर भी विचार कर रहें हैं |


(नोट-उपर्युक्त सभी कार्टून और फोटो गूगल और CARTOONSTOCK.COM से जनहित में साभार प्रकाशित है ,किसी को ऐतराज हो तो हटा दिया जायेगा)

14 comments:

  1. इरादा नेक है। आपको सफलता मिले।

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  2. बहुत ही गंभीर सोच और नेक सलाह्। जरूरत है अमल मे लाने की। आभार……

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  3. बेहतरीन सोच...उम्दा आलेख!

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  4. पैसा जब अस्मिता का प्रतीक बन जाए,तो मनुष्यता शर्मसार होती ही है। यह अंधी दौड़ न जाने हमें कहां ले जाएगी।

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  5. आज इन्सानियत ही तो सबसे वाहियात व नकारा चीज़ बची है जिसकी किसी को ज़रूरत ही नहीं है. सब इसके बिना ही मज़े में हैं. इसकी बात करने वाले को तो बस मंगल ग्रह से आया जीव समझते हैं लोग.

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  6. सार्थक सोच
    देश के हालात और उसके जिम्मेदार लोगों की असलियत सामने आने पर भी हम खामोश बैठे रहते हैं यही तो इस देश की स्थिति के लिये जिम्मेदार कारक है.
    सुन्दर आलेख

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  7. bahut sundar vichar, agar ham men se koi eka vyakti ko bhi sachche mulyon aur desh ki dhara se judne ke kaabil bana saken to isa mati aur desh ke prati apane daayitva ko ansh matra poora kar sakenge.

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  8. बहुत सार्थक सोच आई आपकी ... अगर ऐसा हो सके तो कुछ सुधार की गुंजाइश है ...

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  9. सबसे बड़े मुर्ख है वे लोग जो बन तो गए हैं IAS ,IPS ,IRS ,इंजिनियर,डॉक्टर,प्राचार्य,मंत्री विधायक और भी ना जाने कौन-कौन सी उच्च पदों पर बैठ गये हैं आप की इस बात से सहमत हुं, वो इस लिये कि मैने खुद देखा है इस माहोल को, मेरी शुभकामनाये आप को

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  10. उत्कृष्ट और अतिआवश्यक आलेख !

    देशहित में अच्छे परियोजनाओं के लिए ये एक ब्लूप्रिंट है.

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  11. desh me ek roadmap kee jaroorat hai aur aapke vichaaro ko dekhkar zaroor lagta hai kee desh ko disha zaroor milegi...
    aap humaare saamoohik blog www.cavstoday.blogspot.com par media me aaye navyuvko ka yun hee hauslaaafjai karte rahe......vivek mishra

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  12. अपनी साइट पर अपना फोन नं ऴ पता अवश्य लिखें। इसके फायदे हैं।

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  13. मान्यवर---

    ""आज लोगों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि किसी को ठगकर ,भ्रष्टाचार को अपनाकर,किसी इंसानियत को शर्मसार करने वाले धंधे को करके या किसी के साथ विश्वासघात करके जीना तो मरने से भी बदतर है..."----सच है, परन्तु समझाने से जरूरी है स्वयं समझना, पहले स्वयं अमल मे लाना, cherity from home.आप स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करिये , समझाने वाले तो तमाम घूमते हैं।



    "...इसलिए हर व्यक्ति को अपनी जरूरत से ज्यादा धन को गरीबों व असल जरूरतमंदों में बाँट देना चाहिए ऐसा करके ही हम इस देश और समाज को इंसानों के रहने लायक बना सकतें है तथा अपने सात पुश्तों के लिए सुख और खुशियों के संसार का निर्माण कर सकतें हैं... "-------बात मूलतः गलत है।यह मूलतः अतिबादी-कम्युनिस्ट सोच है, अपनी परिश्रम की कमाई कोई क्यों बांटदे, इससे समाज में अकर्मण्यता बढेगी।....कथन होना चाहिये ..." आवश्यकता से अधिक धन कमायें ही नहीं.." क्योंकि वह अवश्य ही अधर्म से कमाया जायेगा।

    ----मूलतः जब तक मनुश्य स्वयं को नहीं सुधारेगा, जो सिर्फ़ और सिर्फ़ परंपरागत भरतीय ग्यान-विग्यान व व्यवहार के आचरण से होगा, तब तक कुछ नहीं होगा।

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