Tuesday, March 23, 2010

कॉमनवेल्थ गेम या भ्रष्टाचार का गेम-------?

                                     
जिस तरह से कॉमनवेल्थ गेम को हर सरकारी विभाग में चाहे वह ४९ लाख से ५९ लाख तक के डी टी सी लो फ्लोर ऐ सी और नॉन ऐ सी बसों के खरीद क़ी,चाहे वह दिल्ली के पी डब्लू डी के फर्जी और घटिया प्रोजेक्ट क़ी ,डी टी  सी का किराया बढाकर आम लोगों को डी टी सी के भ्रष्टाचार क़ी मार सहने के लिए मजबूर करने क़ी ,मेट्रो रेल के फायदे में चलने के बाबजूद उसका किराया बढाकर जनता को सरकार द्वारा सेवा मुहैया के बदले धोखा क़ी और अब दिल्ली का अव्यावहारिक बजट जो जनता क़ी खुले आम जेब तलाशी है को भी कॉमनवेल्थ गेम को आधार बनाना / 

इन सब बातों पड़ विचार करने के बाद यह कहा जा सकता है क़ी यह  कॉमनवेल्थ गेम नहीं बल्कि भ्रष्टाचार  का गेम है क्या  ? ऐसे गेम का क्या फायदा जिसके वजह से आम लोगों को जिन्दा रहने के लिए पल पल मरने या अनैतिकता का सहारा लेना परे /गेम के अंग्रेजी शब्द का क्या अर्थ है,यह तो मुझे नहीं पता लेकिन इसके हिंदी शब्द खेल का अर्थ जो मैंने अपने शिक्षा काल में अपने श्रेष्ट गुरुजनों से सिखा था वह है -खेल,यानि मानवता को श्रेष्ट चरित्र के ओर ले जाकर समाज को चरित्रवान बनाना और सही राह पर चलते हुए अगर कोई हमसे खेल में जीत जाय तो अपनी हार स्वीकार करने के साथ- साथ जीतने वाले को सम्मान क़ी नजर से इसलिए देखना क़ी वह मुझसे सही मायने में आगे है / लेकिन आज खेल से इसका नाम गेम ज्यादा पोपुलर है और इसका कारण शायद इस बात को कहा जा सकता है क़ी खेल का आयोजन भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को फायदा पहुँचाने का एक मुख्य जरिया बनने के साथ -साथ आम लोगों को तबाह और बर्बाद करने का बहाना बन गया है /जरा सोचिये यह कॉमनवेल्थ गेम प्रोजेक्ट ७६७ करोड़ से १६७० करोड़ का कैसे हो गया ? इसकी जाँच सर्वोच्च न्यायालय के इमानदार जजों और देश के इमानदार समाजसेवको जैसे अन्ना हजारे ,किरण बेदी ,अरविन्द केजरीवाल इत्यादि के एक संयुक्त जाँच समिति द्वारा जरूर होनी चाहिए / भविष्य में ऐसे खेलों के आयोजन से पहले आम लोगों के हितों से सम्बंधित कारणों पर शोध कर उसे आम लोगों के विचारों और सुझावों से संतुलित किया जाना चाहिए ,जिससे आम लोगों को गेम का आयोजन सही मायने में गौरवान्वित करने का काम करे ना क़ी एक आफत क़ी तरह लगे / हम चाहते हैं क़ी इस गेम के बाद इससे जुड़े हर प्रोजेक्ट क़ी बारीकी से जाँच हो जिससे उन भ्रष्ट नेताओं ,इंजीनयरों और आधिकारियों के उस गेम का पता लगाया जा सके जिन्होंने इस गेम को अपने फायदे के गेम क़ी तरह इस्तेमाल  कर आम जनता के लिए इस गेम के मायने ही बदल कर रख दिया है /           

Monday, March 22, 2010

महिला सशक्तिकरण-सेक्स और भ्रष्टाचार -------------------

                             
महिला सशक्तिकरण कि बात करने वाले ये कौन लोग है ? कहिं ये वो ही लोग तो नहीं जो क्या महिला ,क्या बच्चा ,क्या नौजवान और क्या बूढा हर किसी को इस देश में कमजोर करने ,मजबूर बनाने और सत्ता में बैठे मजबूरों के अस्मिता तक का सौदा करने वालों के पास जाने को मजबूर करने का काम करते हैं ? मुझे शर्म आती है यह पूछते हुए कि कहाँ चले जाते हैं ये लोग जब रुचिका के मरने के १९ साल गुजर जाने के बाद भी उसके आत्महत्या के लिए जिम्मेवार व्यक्ति को सजा नहीं मिल पाती है? कहाँ चले जाते हैं ये लोग जब किसी महिला के साथ बलात्कार करने वाला कोई ऊँची पहुँच वाला होता है ?कहाँ चले जाते हैं ये लोग जब एक बच्ची अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए किसी कि मजबूरी का सौदा करने वाले के हाथों अपना सब कुछ बेचने को मजबूर हो जाती है ? आज असल मुद्दा यह नहीं कि संसद में १०० में से ३० महिलाएं हों,असल मुद्दा तो यह है कि जो महिला उच्च संबैधानिक पदों पर बैठी है ,क्या वह उन पुरुषों के दबाब के बिना काम कर रही है जो पुरुष हमेशा महिलाओं के सशक्तिकरण के नाम पर उनका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करता रहा है ? हालाँकि कुछ अपवाद हैं जैसे किरण बेदी ,मेघा पाटकर इत्यादि जिन्होंने न सिर्फ पुरुषों बल्कि जीवन में अपने उसूलों के खातिर बड़ी से बड़ी चुनौतियों के सामने कभी भी घुटने नहीं टेका / ऐसा जज्बा तो मर्दों में भी कम ही देखने को मिलता है / अब सवाल उठता है कि महिलाओं का असल में सशक्तिकरण कैसे होगा ? महिलाओं को कमजोर करने वाले कारण कौन कौन से हैं ? जबाब है भ्रष्टचार एक प्रमुख कारण है महिलाओं के कमजोरी और बाजारीकरन का  ,क्योंकि ज्यातर मामलों में भ्रष्ट लोग ,जिनके पास दो नंबर का पैसा होता है ,और जिनको यह गुमान होता है कि वे पैसे के दम पर हर गुनाह से बचकर निकल जायेंगे ,ऐसे लोग ही महिलाओं के साथ ज्यादा कुकर्म करते है क्योंकि हमारे देश कि व्यवस्था ऐसे लोगों को सजा देने में या तो बहुत देर करती है या दे ही नहीं पाती है / हमारे देश में महिला आयोग से लेकर महिला कल्याण मंत्रालय तक ऐसे लोगों के सामने लाचार दिखती है /आज जरूरत है कागजों में नहीं बल्कि जमीनी स्तर पड़ हर राज्य का महिला आयोग और महिला कल्याण मंत्रालय महिलाओं के हर शिकायत पर तुरंत और सख्त से सख्त सजा दोषियों को दिलाने के लिए सही और ठोस उपाय करे और बिना किसी भेद भाव के हर पीड़ित महिला को उसके द्वार पर जाकर सहायता और सहानभूति प्रदान करे /सिर्फ ऐ सी दफ्तर में बैठने,फाइल बनाने और बनाकर रखने से महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं होगा / महिलाओं के हर उस शिकायत जिससे उसकी अस्मिता जुडी हो पर, पूरे देश में और देश के हर अदालत में एक साल के के भीतर सुनवाई पूरी कर कार्यवाही करना जरूरी बना दिया जाय/ बृद्ध महिला,विधवा महिला और असहाय महिलाओं को पेंशन के लिए बैंक या किसी दफ्तर नहीं जाना परे बल्कि उनके घर ये सारी सरकारी सुविधाएँ पहुँचाना किसी भी जिला प्रसाशन के लिए जरूरी बना दिया जाय/महिलाओं के लिए कुछ सरकारी विभागों में 60 प्रतिसत तक आरक्षण होना चाहिए मसलन शिक्षा,बैंक,समाज कल्याण और महिलाओं के कल्याण से जुड़ें सभी विभाग तथा महिला कल्याण मंत्रालय इत्यादि /गाँव हो या शहर हर थाने में दो महिला अधिकारी जरूर हो /महिलाओं कि शिक्षा सरकारी या गैर सरकारी स्कूलों में पूरी तरह मुफ्त हो /जिन माता पिता को सिर्फ दो बेटीयां  हो उसे राष्ट्रीय गौरव योजना की शुरूआत कर हर महीने १०००रूपया कि प्रोत्साहन राशी प्रदान कि जाय /ये कुछ ऐसे जमीनी उपाय है जिससे सही मायने में महिलाओं का विकास  होगा / अब रही बात महिलाओं को बाजारीकरण में प्रयोग करने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही कि तो इस दिशा में सख्त नियम कायदे बनाने कि जरूरत है जिसे महिला संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं से सुझाव मंगवाकर तैयार किया जा सकता है ,जिससे सीमेंट के प्रचार में सीमेंट कि गुणवत्ता कि जगह महिलाओं के मांसल सौन्दर्य का घिनौना प्रदर्शन करने और अपने फायदे के लिए महिलाओं कि असुरक्षा को बढाने वालों पर नकेल कसा जा सके /मुझे तो भारतीय मिडिया के लाचारी पड़ आश्चर्य होता कि ऐसे विज्ञापन के खिलाफ आवाज उठाने के वजाय उसे पैसे के लिए प्रशारित करने का काम कर महिलाओं का अपमान करती है / आज पैसे के लिए हर किसी कि अपनी अपनी दलील हो जाती है ,लेकिन हम आपसे अपेक्षा करते है कि आपकी दलील इस ब्लॉग पड़ महिलाओं के सच्चे हित में होगा /         

Saturday, March 20, 2010

श्रीमती किरण बेदी को मुख्य सूचना आयुक्त नहीं बनाया गया तो देश में पहले से ही बदहाली में चल रहे सूचना का अधिकार कानून और कमजोर हो जाएगा -------------

मुख्य सूचना आयुक्त श्री वजाहत हबिबुल्लाह का कार्यकाल २४ अक्टूबर २०१० को आपना पाँच साल पूरा करता लेकिन वे ३० सितम्बर२०१०  को ही ६५ साल के हो जायेंगे / इसलिए देश को उससे पहले एक नए मुख्य सूचना आयुक्त की जरूरत पड़ेगी,जिसके लिए आमिर खान(मशहूर  फिल्म अभिनेता) ने श्रीमती बेदी का नाम प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह को पत्र के जरिये सुझाया था ,जिसे श्रीमती बेदी ने भी मीडिया में यह कहते हुए स्वीकारा भी था की -अगर सरकार मुझे मुख्य सूचना आयुक्त बनाती है तो मैं खुशी से यह पद स्वीकार करूंगी और आयुक्त को मिलने वाला मासिक वेतन भी नहीं लूंगी /भारत सरकार के लिए और देश की जनता के लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती थी /लेकिन इस देश भारत और इसकी जनता की फ़िक्र किसको है /प्रधान मंत्री ऑफिस अभी तक पता नहीं किस धुन में लगा है जो इतने गंभीर मुद्दे पड़ देश को अपना फैसला बता पाने में असमर्थ दिख रहा है /जबकि सारा देश यह जानने को बेताब है की मनमोहन सिंह जी के पास श्रीमती बेदी से ज्यादा उपयुक्त और कौन सा आइ  ए एस या आइ पी एस है जो देश का मुख्य सूचना आयुक्त बनने के लायक है /प्रधान मंत्री को देश के जनता के प्रति जवाबदेहि के तहत ये जरूर बताना होगा और चाहिए भी कि श्रीमती बेदी जैसे बेहद इमानदार नाम पर मुख्य सूचना आयुक्त कि मुहर लगाने में इतनी देरी क्यों ? जबकि ऐसा करने से श्रीमती बेदी का कद बढ़ता या नही ? पड़ श्री मनमोहन सिंह और मुख्य सूचना आयुक्त के पद कि  गरिमा का कद जरूर बढ़ जाता / आप अपने विचारों के जरिये देश के इस गंभीर पद और मुद्दे पड़ अपनी ऍफ़ आई आर इस ब्लॉग पड़ दर्ज करने के साथ- साथ देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र द्वारा अपने  विचारों को बताने का कष्ट करें ---------------

सतीश शेट्टी के हत्यारों को फाँसी दो ------------------

अब कलम के पुजारियों और सच्चे देश भक्त पत्रकारों (वैसे तो असल में पत्रकार कहलाने का हक़ हर उसी व्यक्ति को है जो देश भक्त और निडर हो)को कलम के साथ तलवार भी रखना होगा क्योंकि निड़र और देशभक्त लोगों को भी अपना और अपने आत्म सम्मान की रक्षा का अधिकार है / आज हर तरफ पत्रकारों को धमकाया और डराया जाता है /सामाजिक कार्यकर्त्ता और सुचना के अधिकार का प्रयोग कर रहे लोग ,सही मायने में देश के जाँच एजेंसियों के अधिकारीयों का काम करके देश के स्वेत रक्त कण (हमारे देश की जाँच एजेंसियाँ) को देश को गंभीर बीमारी से लड़ने में ,देश की व्यवस्था जो पूरी तरह सड़ चुकी है को थोड़ी  बहुत सहायता पहुंचा रही है,जिससे देश में इंसानियत जिन्दा है ,वैसे तो इसे मारने की पूरी तैयारी उन देश के गद्दारों द्वारा कर ली गयी है जो- हैं तो हिन्दुस्तानी ,खाते है हिंदुस्तान का,बैठे है देश के तथाकथित  कर्ता-धर्ता बनकर लेकिन उनका देश और देश के लोगों के हितों से दूर -दूर तक कोइ वास्ता नहीं है / अगर वास्ता होता तो तालेगांव दबहाड़े,पुणे के पास देश के सुरक्षा का एक स्वेत रक्त कण(सतीश शेट्टी) की हत्या देश में हर तरफ चोरी और बईमानी का जाल बनाने वाले देशद्रोहियों द्वारा करा दी गयी और लगभग तीन महीने बाद भी ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को नहीं पकरा जाना समूचे महाराष्ट्र के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश और उसकी व्यवस्था के लिए शर्मनाक है / दरअसल व्यवस्था में बैठे लोग सतीश शेट्टी के हत्यारों के बारे में नहीं जानते ऐसा नहीं है,बल्कि व्यवस्था  में बैठे भ्रष्ट लोगों के इशारों पे ही हत्या सोची समझी साजिश और देश की व्यवस्था को पटरी पर लाने वाले देश व्यापी आन्दोलन को कमजोर करने के लिए की गयी /अतः देश के पत्रकारों और समाज सेवको से हमारा आग्रह है की अपने खोजी पत्रकारिता को निडर होकर अंजाम तक पहुँचाने के लिए,अपनी रक्षा के लिए और सतीश शेट्टी जैसे आज के निडर स्वतंत्रता सेनानियों की रक्षा  के लिए कलम के साथ तलवार भी रखें / अपनी रक्षा किसी देशद्रोहियों से करने के लिए उस पर वार करना सदाचार की श्रेणी में आता है / हमारा आग्रह ऐसे इमानदार आई पी एस अधिकारीयों से है की -मानवता और इंसानियत को जिन्दा रखने के लिए सतीश शेट्टी के हत्यारों को जल्द से जल्द पकर कर उसे फाँसी की सजा दिलवाने के लिए ठोस सबूत अदालत में पेश करें / इसके लिए समूचा देश उनका आभारी रहेगा / सभी ब्लोगरों से हमारा आग्रह है की सतीश शेट्टी के हत्यारों को पकरने के लिए अपने ब्लॉग के जरिये आन्दोलन चलाएं और महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री को ई मेल करें,जिससे सतीश सेट्टी जैसे लोगों को सम्मानित कर हमेशा लोगों के दिलों में जिन्दा किया जा सके और ऐसे लोगों पर हमला करने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाया जा सके /