Sunday, August 8, 2010

अलविदा दोस्तों.....अब सिर्फ ब्लॉग लिखने की नहीं बल्कि अपने खून से इस देश और समाज के तक़दीर को लिखने की जरूरत है ...?




मैं ऐसे राष्ट्रपति से प्रेरित हूँ जिन्होंने कर्तव्य को निभाने में ईमानदारी अपनाते वक्त अपने बच्चों के भविष्य क़ी भी चिंता नहीं क़ी और भ्रष्टाचार से एक रुपया भी नहीं जमा किया इनको कहते हैं सच्चा लोक सेवक |

अलविदा दोस्तों मैंने शुरुआत की है अपने खून से इस देश और समाज के तक़दीर को लिखने की क्योंकि अब अगर हमने अपने जान की परवाह की तो इंसानियत ही नहीं बचेगी | फिर इस जान की जरूरत ही खत्म हो जाएगी | मैंने ऐसा किसी अभाव में नहीं बल्कि देश में भ्रष्टाचार और बेईमानी के चरम सीमा पे पहुँचने के कारण किया है | इस देश में निगरानी ,सुधार और दोषियों को सजा देने की सारी प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है | व्यवस्था पूरी तरह सड़ चुकी है और इसे सड़ाने वाले मंत्री जैसे सम्माननीय पदों पर बैठकर भ्रष्टाचार और बेईमानी को पोषण और संरक्षण दे रहें हैं | मैंने कुछ भ्रष्ट मंत्रियों के नाम देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को इ.मेल से भेजा है और अगर इनपर कार्यवाही नहीं हुयी तो 08/09/2010 को मैं अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूँगा | क्योंकि मुझे जीने का अधिकार है लेकिन ईमानदारी और अच्छाई से अगर मेरे इस अधिकार का हनन ज्यादातर देश के मंत्री ही कर रहें हों तो जीने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है | मैंने इस देश के लाखों लोगों के दुखों का अध्ययन किया है और पाया है की उनके दुखों का कारण सिर्फ और सिर्फ ये भ्रष्ट मंत्री और इनके द्वारा दोषियों को सजा देने की व्यवस्था को खत्म कर देना ही प्रमुख कारण है  | अतः इनके खिलाप हर-हाल में कार्यवाही को मैंने अपने जान से भी जोड़ दिया है ,आप सब से भी आग्रह है की आप मेरे इस नेक काम में मेरा हौसला बढ़ाने का प्रयास करें और हो सके तो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर मुझ जैसा ही कदम उठायें | आपके द्वारा उठाये गये निडरता भरे क़दमों से भी कम से कम प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को कुछ ईमानदारी भरा करने की प्रेरणा मिले |

आज मैंने 03:16 मिनट दोपहर में निम्नलिखित इ.मेल के पते पर भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति को इ.मेल किया है वह आप लोगों के लिए भी यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ...












topresidentofindia@rb.nic.in,
pmosb@pmo.nic.in,
vpindia@sansad.nic.in

आदरणीय राष्ट्रपति महोदया,प्रधानमंत्री महोदय तथा उपराष्ट्रपति महोदय
सादर नमस्कार ,

विषय-अगर आप लोगों ने इमानदार संसद सदस्यों,समाज सेवकों और इमानदार IAS , IPS और IRS  के संयुक्त जाँच समिति द्वारा इन निम्नलिखित मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जाँच नहीं करायी तो मैं यह मान लूँगा की इस देश में ईमानदारी और सत्यमेव जयते के लिए कोई जगह नहीं बचा है....अतः मैं यह भी मान लूँगा की मुझे मिले सच्चाई और ईमानदारी से जीने के अधिकार को इन मंत्रियों के शर्मनाक भ्रष्टाचार ने बाधित किया है और मुझे तथा मुझ जैसे अन्य लोगों को भ्रष्टाचार और बेईमानी को अपनाने के लिए विवश भी करने का प्रयास किया है | लेकिन मैं एक ऐसा इंसान हूँ जो किसी भी काम को करने के बाद उसकी जाँच देश के सभी  इमानदार नागरिकों से कराने को तो तैयार हूँ लेकिन भ्रष्टाचार और बेईमानी के सहारे अपने और ना ही अपने बच्चों के जीवन के रक्षा को किसी भी हाल में तैयार नहीं हूँ | अतः अगर आप लोगों ने इन आरोपित मंत्रियों के विभागों में इनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की न्यायसंगत और तर्कसंगत आधार पर ईमानदारी से जाँच कराकर इनको सजा नहीं दिया तो मैं आज से ठीक तीस दिनों बाद अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूँगा | इनके द्वारा लूटा जा रहा पैसा इनका नहीं है बल्कि उस गरीब का भी है जो एक माचिस की खरीद पर पाँच पैसे के टेक्स के रूप में सरकारी खजाने को देता है | मेरे इस आग्रह पर अगर आपने अपने पद की परवाह किये वगैर ईमानदारी से कार्यवाही किया तो आप एक इमानदार इंसान की जान बचाने के साथ-साथ इस देश और समाज को भी बचाने का प्रयास करेंगे |

महोदय एवम महोदया ,


मैं एक बेहद इमानदार और अपने इंसान होने के सभी कर्तव्यों को अपने जान की परवाह किये वगैर निर्वाह करने वाला व्यक्ति हूँ | मेरे इस कथन की सत्यता के लिए कोई भी व्यक्ति मेरे कार्यों और मेरे व्यवहार की जाँच कभी भी कर सकता है | मैंने हमेशा कोशिस की है  हर व्यक्ति को इंसान बनाने की | लेकिन आज देश के कुछ मंत्री भ्रष्टाचार और बेईमानी का इतना नंगा खेल खेल रहें हैं की इंसानियत को  जिन्दा रखना मुश्किल हो गया है तथा इन मंत्रियों ने ना सिर्फ अपने पदों का दुरूपयोग किया है बल्कि लोगों को भ्रष्ट और बेईमान बनाने के साथ-साथ देश में निगरानी ,सुधार और दोषियों को सजा देने की प्रक्रिया को भी अपने प्रभाव से खत्म करने का जघन्य अपराध किया है | ये सिर्फ भ्रष्टाचारी ही नहीं बल्कि हैवान हैं और इनके कुकर्मों की सजा के लिए इनकी ब्रेनमेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट कराकर इनके कुकर्मों की जाँच कर इनको सरेआम फांसी की सजा दी जाय | अगर मेरे आरोप इनकी ब्रेनमेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट जो की इमानदार समाज सेवकों और इस देश के इमानदार जजों के सामने कराया जाय के बाद झूठा साबित हो तो मुझे सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया जाय | इसके लिए मैं शपथ -पत्र भी लिख रहा हूँ  |

                            
                     शपथ-पत्र
मैं जय कुमार झा,पिता-स्वर्गीय श्याम सुन्दर झा ,निवासी -वर्तमान पता -127 ,DDA ,HIG ,SECTOR A -5 ,पॉकेट -13 ,नरेला,दिल्ली-40 ,स्थायी पता-AT.+PO . -श्रीखंडी -भिट्ठा ,भाया-सुरसंड,जिला-सीतामढ़ी,(बिहार),मोब-09810752301 ,अपने पूरे होशो हवास और अच्छी सोच के अनुसार सोचकर निम्नलिखित मंत्रियों को अपराधी,घोरभ्रष्टाचारी और इंसानियत का दुश्मन कह रहा हूँ | अगर मेरे आरोपों  की इमानदार समाजसेवकों तथा जजों के सामने  इन मंत्रियों के ब्रेनमेपिंग व लाई डिटेक्टर टेस्ट के बाद भी सत्यता प्रमाणित नहीं हुयी तो मैं ख़ुशी-ख़ुशी फांसी पर चढ़ जाऊंगा | मुझे दुःख के साथ-साथ शर्म भी महसूस हो रहा है की ऐसे लोग हमारे देश के मंत्री पद को बदनाम करते हुए हमारे देश के मंत्री पद पर विराजमान हैं | इन मंत्रियों के वजह से पूरे देश में भ्रष्टाचार को बढ़ने में प्रेरणा मिली है | मैं किसी पार्टी से नहीं जुड़ा हूँ और ना ही जुड़ने की इक्षा है | मैं सामाजिक आंदोलनों और पारदर्शिता के लिए लड़ाई तथा भ्रष्टाचार के खिलाप लड़ाई के सभी आंदोलनों से जुड़ा हुआ हूँ तथा मेरी हार्दिक इक्षा है की सामाजिक जाँच हर सरकारी खर्चों और घोटालों के जाँच के लिए आवश्यक हो | इन मंत्रियों को तुरंत पदों से तब तक के लिए हटा दिया जाय जब तक इनके खिलाप जाँच पूरी ना हो जाय  | मेरे द्वारा आरोपित मंत्री हैं ---

1 -शरद पवार (कृषि मंत्री)
2 -शिला दीक्षित (मुख्यमंत्री दिल्ली)
3 -अरविंदर सिंह लवली(परिवहन व शिक्षा मंत्री दिल्ली)
4 -राज कुमार चौहान(मंत्री PWD दिल्ली)
5 - एस. जयपाल रेड्डी ( शहरी विकाश मंत्री )

इन सभी मंत्रियों के विभागों में शर्मनाक भ्रष्टाचार और आम नागरिकों के प्रति आपराधिक स्तर की असम्बेदंशिलता है और सबसे गंभीर बात यह है की इन मंत्रियों द्वारा भ्रष्टाचार को  पोषण और संरक्षण दिया जा रहा है |

आशा है आपलोग पदों से ऊपर उठकर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर उपर्युक्त मंत्रियों को पदों से हटाकर उनके खिलाप ईमानदारी भरा जाँच करवाकर उनको उनके पदों के दुरूपयोग तथा आपराधिक स्तर के भ्रष्टाचार की सजा जरूर देंगे | अन्यथा यह मेरा अंतिम आग्रह तो होगा ही |

सत्यमेव जयते ,ईमानदारी और देशभक्ति की रक्षा तब की जा सकती है जब पद और जान की परवाह ना की जाय ,हमने शुरुआत की है आगे देखतें हैं लोग क्या करतें हैं ...आप लोगों का सार्थक जवाब व ईमानदारी भरी कार्यवाही इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है |

                 आशा है आप लोग कुशल होंगे ,आपका -जय कुमार झा
                     दिनांक-08 /08 /2010 ,नरेला,दिल्ली 

अंत में मैं आप सभी ब्लोगरों से बताना चाहूँगा की अगर राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा भी कुछ नहीं किया जाता है भ्रष्टाचार और कुव्यवस्था को रोकने के लिए तो मुझे जीने की कोई इक्षा नहीं रह जाएगी और 08/09 /2010 को भ्रष्टाचार के खिलाप मेरी मौत का जिम्मेवार इन तीनो पदों पर बैठे व्यक्ति ही होंगे | मैं अगर जिन्दा ना भी रहा लेकिन मेरी मौत इस देश में भ्रष्टाचार के खिलाप आन्दोलन को एक अंतिम लड़ाई तक पहुंचा सका तो मैं अपने मौत को सार्थक समझूंगा |

28 comments:

  1. महात्‍मा गांधी को देश को आजाद कराने में तो खून की आवश्‍यकता नहीं पडी .. भ्रष्‍टाचार को समाप्‍त करने के लिए खून की आवश्‍यकता क्‍यूं .. बस जनता को जागरूक और एकजुट होने की आवश्‍यकता है !!

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  2. @संगीता जी
    महात्मा गाँधी के ज़माने में अंग्रेज भी इतने बेशर्म नहीं थे जितने आज के ये भ्रष्ट और कुकर्मी मंत्री हैं ,इनमे नैतिकता का लेशमात्र भी नहीं है | मैं भी हिंसा के खिलाप हूँ तभी नक्सलवादी बनने की जगह सिर्फ इस गंदे माहौल को बनाने वाले के खिलाप कार्यवाही चाहता हूँ या खुद को ही इस माहौल से बहुत दूर ले जाने की सोच रहा हूँ |

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  3. आज की जनता स्‍वार्थी न होती .. तो नेताओं की क्‍या हिम्‍मत थी .. भ्रष्‍टाचार फैलाने में जितना नेताओं का हाथ है उससे कम पब्लिक का नहीं .. भले ही गिनी चुनी पब्लिक .. वो नहीं समझती कि कभी उसके भी बुरे दिन आ सकते हैं .. समय के उलटने में एक क्षण भी नहीं लगते .. प्रकृति देर कर रही हैं या अंधेर .. सचमुच समझ में नहीं आता !!

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  4. जीवन लीला की समाप्ति से इनपर क्या प्रभाव पड़ने वाला है. सार्थक प्रयास और एक जुट करने का नेक काम जीवन जीते हुए ही सम्भव है. ये वही चाहते है जो करने का आप ऐलान कर रहे है. इन्हें सजा तो एकजुटता से ही दिया जा सकता है.

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  5. यदि आप इस चरम परिस्थिति तक जा ही पहुँचे हैं, तो क्यों न 2-4 भ्रष्ट IAS अफ़सरों को मारने के बाद ही यह कदम उठायें…

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  7. अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए आप जिस मिशन में लगे है उसे ज्यादा धारदार बनाये , अपने आपको ख़त्म करने जैसे कदम का समर्थन नहीं किया जा सकता इसलिए आपसे अनुरोध है कि अपने इस आत्म-घाती कदम पर एक बार फिर सोचें |

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  8. @ सुरेश जी
    आपकी बात में दम है आज इसकी जरूरत भी है की गंदगी को हर व्यक्ति खत्म करे चाहे उसे खुद ख़त्म क्यों ना होना परे | लेकिन मैं किसी भी गैर कानूनी काम को करना नहीं चाहता ,मेरा भ्रष्टाचार और बेईमानी में नहीं जीने का अधिकार उसी तरह सुरक्षित और कानूनी है जैसे जीने का अधिकार ,मैंने इसलिए तीस दिनों का वक्त दिया है इन देश के कर्ता धर्ताओं को ,अब देखना ये है की इनमे कितनी हिम्मत है भ्रष्टाचार से लड़ने की ,अगर इनमे हिम्मत नहीं है तो मेरा जीवित रहना निश्चय ही भ्रष्टाचार को ही बढाने का काम करेगा ,क्योकि ज्यादातर काबिल पत्रकार,समाज सेवक,इमानदार IAS ,IPS ,IRS ने भी अपने जीवन की सुरक्षा के लिए ही इन भ्रष्टाचारियों का साथ देना स्वीकार कर अपनी काबिलियत को थक-हारकर भ्रष्टाचार को पोषण देने और उसके संरक्षण में लगा दिया है | काश ये लोग भी भ्रष्टाचार की लड़ाई में खुला अल्टीमेटम देते अपनी जान की परवाह किये वगैर तो देश की ये दुर्दशा नहीं होती ,ऐसे लोग कायर हैं और इन कायरों में मैं कम से कम शामिल नहीं हो सकता ,अगर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने न्यायसंगत और तर्कसंगत व्यवहार नहीं दिखाया तो मेरा निर्णय अटल है इस दुनिया को छोड़ जाने का | कम से कम लोग इन दो सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्ति के किसी नागरिक के प्रति सम्बेदंशिलता तथा कुव्यवस्था को दूर करने की इक्षाशक्ति को तो जान पाएंगे |
    @ एम वर्मा जी और रतन सिंह जी
    मैंने बहुत सोच समझ कर निर्णय लिया है ,मैं परेशान हो चूका हूँ यह देखकर की हर जगह सच्ची शिकायत पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती ,देश की राजधानी में भी इन मंत्रियों के द्वारा लूट का खेल खुलेआम जारी है और शिकायत करने वालों को डराया धमकाया जाता है इमानदार RTI कार्यकर्ताओं को जान से मार देने की धमकी ही नहीं मार दिया जाता है ऐसे में ईमानदारी भरे प्रयास को सफलता के मुकाम पर पहुँचाना तब तक मुमकिन नहीं है जबतक प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का जमीर न जगे ,मेरी कोशिस इस ओर भी है अब देखना है की इनका जमीर जगता है या मेरी जान जाती है ..? मुझे दोनों ही मंजूर होगा ...

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  9. शायद आपकी बार प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति तक ये भ्रष्ट तंत्र पहुँचने ही ना दें !!

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  10. ओह ! आपकी मानसिक पीड़ा का साझेदार होते हुए भी अपना जीवन लेने के आपके निर्णय से मैं कतई सहमत नहीं हूँ .-क्योकि एक तो यह समस्या का कोई सामाधान नहीं है और दूसरे देश के क़ानून के मुताबिक़ नहीं है -मतलब गैर कानूनी है ! आपको ही सजा हो सकती है -
    दूसरी ,आरोप स्पेसिफिक उदाहारण के आधार पर लगाये जाते हैं -आपने कुछ भी स्पेसिफायी नहीं किया -तो यह भी अवधार्य नहीं है ...आप अपनी समस्याओं को लेकर किसी अनुभवी वकील से परामर्श करें -ऐसे कुछ होने वाला नहीं है !

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  11. जय कुमार झा जी,
    मैं आपको बहुत सुलझा हुआ इनसान मानता हूं...लेकिन आपके इस कदम को कतई ठीक नहीं मानता...सिस्टम से मुंह मोड़ने की जगह सिस्टम से लड़ने के जज़्बे को कभी मरने नहीं देना चाहिए...ये मैं मानता हूं कि जादू की कोई छड़ी ऐसी नहीं है जिसे घुमाया जाए और देश की तस्वीर बदल जाए...जिस तरह बूंद बूंद से सागर बनता है, उसी तरह हम सब जहां काम कर रहे हैं, वहीं से जितना संभव हो सके, जहां तक संभव हो सके, खुद भी ईमानदार रहना चाहिए और दूसरों को भी जागरूक करना चाहिए...जो गलत लगे वहां आवाज़ ज़रूर उठाएं...एक दिन इस आवाज़ में इतनी ताकत आ जाएगी कि सत्ता के गलियारों में बैठे बहरे कानों में अपने आप पहुंच जाएगी...फिर आपको ऐसी चिट्ठी लिखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी...पूरा ब्लॉगवुड आपके साथ है, लीडर बनिए, इस तरह अपनी बेशकीमती जान के लिए खुद ही फैसला मत कर लीजिए...ये पूरे ब्लॉगवुड की अमानत है...इस पर हमारा भी हक़ है, इसे संभाल कर रखिए...

    जय हिंद...

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  12. झा भाई, क्या आप प्रमाणिक तौर पर यह बता सकते है की आपके ऐसा करने से भ्रष्टाचार देश से ख़त्म हो जाएगा ?

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  13. इसे आपकी नादानी ही कहूंगा !

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  14. @खुशदीप जी
    आपका कहना जायज है लेकिन अब कुछ बुद्धिजीवियों को इस रास्ते पर चलना ही होगा अगर कुछ बदलाव और सार्थक शुरुआत करनी है तो ,क्योकि व्यवस्था इस तरह पंगु हो चुकी है इसको बदलने का प्रयास करने वाले को पूरी सत्ता के साधन और भ्रष्टाचार से लूटे गए पैसे की ताकत से ही दबा दिया जाता है | मिडिया से खोजी पत्रकारिता खत्म हो चुकी है और उसकी जगह प्रायोजित न्यूज़ ने ले ली है | ऊपर से नीचे तक सब बेईमानों और भ्रष्टाचारियों के संरक्षण में खरे नजर आतें हैं | ऐसे में दो ही रास्ते बचतें हैं 1 -भ्रष्टाचार के खेल में शामिल होकर उसका पोषण और संरक्षण करें या
    2 - निर्णायक लड़ाई लड़कर अपने प्राणों की आहुति देकर इस लड़ाई को एक नयी दिशा दी जाय ..जिसकी
    आज सख्त जरूरत है ...देखते हैं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का इस मुद्दे पर कैसा रुख रहता है ..?
    बस आप सब से मेरी यही प्रार्थना है की इस लड़ाई को मेरी मृत्यु के बाद और तेज जरूर कर देना जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले |
    जय हिंद,सत्यमेव जयते

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  15. जयकुमार ज़ी,

    आप अतिभावुक व जज़बाती हो रहे है। भ्रष्ट सिस्टम से कहीं जयादा कीमती आपकी जान है,क्रोधावेश में स्वयं के प्राणों के साथ यह व्यवहार भी पाप की श्रेणि में ही आता है।
    और यह आहुति निर्णायक न होगी,सोचिये यह आहुति भी गुमनामी में गर्क हो जायेगी,पता नहिं देश को फ़ायदा होगा या नहिं, लेकिन एक अच्छा इन्सान यह सोचे ?
    यह पवित्र आहूति ऐसे कीचड को कैसे समर्पित की जा सकती है?

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  16. अरे अरे आप जल्द वाजी मै ऎसा कुछ मत करे, आप को याद है देश को आजाद करवाने के लिये लोगो लडे थे, अग्रेजो को कुतो की तरह से मार मार कर निकलने पर मजबुर किया था, लेकिन उस तेयारी मै बहुत समय लगा था, बहुत सॆ वीर जवान शहीद हुये थे, बहुत मांओ के लाल उन से अलग हुये थे, तो मेरा कहना तो यही है कि आप ऎसा करे जो उस समय हमारे वीरो ने किया, आप जनता को जाग्रुक करे, इन्हे समझाये, इकठ्ठा करे, ओर फ़िर सब मिल कर लडे,इन सभी कमीनो को सबक दे, चुपचाप बिना कुछ किये जाना अच्छा नही, गीता मै कृष्ण का उपदेश याद करे... आप ने ब्लांग मै हि कुछ ही दिनो मै लोगो को जगाया है, ओर खुद सोने जा रहे है? अरे नही अपने आस पास लोगो को जागरुक करे, दो लोगो को जाग्रुक करे गे वो आगे चार को जाग्रुक करे गे... ओर फ़िर एक दिन सब को सोचने पर मजबुर होना पडेगा, मरना तो आसान है इन कमीनो को, इन्हे कोई फ़र्क नही पडने वाला, जीयो शान से ओर जनता को जागरुक करो....

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  17. जयकुमार जी,
    आप एक सुलझे हुए समझदार इंसान हैं...आप ये भी जानते हैं कि समाज से इन गंदगियों को हटाना दो दिन का काम नहीं है...आप इसके लिए प्रयत्नशील हैं...तो वही कीजिये.... आपके चले जाने से सिर्फ एक ही बात होगी...एक कीमती जीवन का अंत ..बिना बात के.....आप ऐसा करके अपने परिवार के प्रति जो नाइंसाफी कर रहे हैं उसकी जवाबदेही किसकी होगी....? पत्नी और बच्चों को इस तरह मझधार में छोड़ कर जाना सबसे बड़ा पाप है...देश के लिए हम सबकी जिम्मेवारी है..लेकिन परिवार के प्रति भी है....
    इस जोश को बहुत ही सार्थक दिशा में लगाइए...जो आप लगा ही रहे हैं...निराशा को अपने पास फटकने भी मत दीजिये.....ईश्वर आपको आपकी मंजिल तक अवश्य पहुंचाएगा....अगर कुछ नहीं हो पाया तो...कम से कम आपको एक संतोष होना चाहिए कि आपने बहुत कोशिश की थी...
    आपने अब तक जो भी काम किया है..मैं उन सभी कामों के लिए आपकी आभारी हूँ...

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  18. रन्जन भाई के साथ .
    यह सब प्रसिद्ध होने का ओछा हथकंडा सा प्रतीत होता है . सिर्फ़ कुछ मन्त्री ही क्यो .सब की जांच करवाईये .

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  19. झा जी,

    हाई मोरल ग्राऊंड पर खड़ा रहना बहुत खतरनाक काम है. सार्वजनिक तौर पर ऐसा करना और भी खतरनाक काम है. भ्रष्टाचार, दुर्नीति, राजनीति वगैरह-वगैरह का खात्मा आपका काम नहीं है. इसके लिए और लोग हैं. फिर आपका काम क्या है? आपका का काम है लिखना. आपका काम है जागरूकता पैदा करना. आपका काम है लोगों को उनके अधिकार की याद दिलाना. आपको नेताओं, अफसरों, पुलिस से यही शिकायत है न कि वे अपना काम नहीं कर रहे? तो मैं कहता हूँ कि आप भी तो उनके जैसे ही होने जा रहे हैं. आप भी अपना काम नहीं कर रहे. ऊपर से आप अपना जीवन समाप्त करने की बात कर रहे हैं. आप अपना काम कहाँ कर रहे हैं?

    सार्वजनिक तौर पर इस तरह की बात कहने से व्यक्ति अपने ऊपर जो दबाव महसूस करता है, वह आप अभी से महसूस कर रहे होंगे. क्यों इस तरह की बात करना? आपका दायित्व निभाइए. आप लिखिए. जागरूकता फैलाइए. वही आपका काम है. आपकी तरह ही अगर लोग सोचते तो हमें अरविन्द केजरीवाल नहीं मिलते. हमें अन्ना हजारे नहीं मिलते. हमें टी एन शेषन नहीं मिलते. और हमें जे सी मेहता नहीं मिलते. आपको क्या लगता है? ये लोग देश में फैले भ्रष्टाचार से कम दुखी हुए होंगे? नहीं. लेकिन वे अपना काम करते रहे. ऐसा क्यों है कि अन्ना हजारे से महाराष्ट्र के राजनीतिज्ञ डरते हैं?

    मैं आपसे अपील करूंगा कि आप इस पोस्ट को अपने ब्लॉग से ही हटा दीजिये. ऐसा करने से कम से कम आपके ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं बनेगा. उसके बाद आप अपने काम में जुट जाइए. अनवरत करते रहिये अपना काम.

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  20. अपने जीवन को समाप्त कर देने को मैं कायरता समझता हूँ, आपके चले जाने का अर्थ होगा एक जुझारू व्यक्ति का चले जाना। संघर्ष करते रहें, एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी!

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  21. इसे प्रसिद्धि का बड़ा ओछा सा टोटका होने तक का आरोप आप पर लग गया देख लिया न आपने?किन्तु आपकी नजर कमजोर है या आप नशा करते हैं कि आपको करोड़ों लोगों द्वारा चुने गये हजारों राजनेता में से चार पाँच ही भ्रष्ट नजर आ रहे हैं?
    कमीनी जनता के द्वारा चुने महाकमीने नेता..... आपके जान देने से कोई फर्क नहीं होगा आपको क्या लगता है कि सारे ब्लॉगर आपके पीछे प्रेरित होकर कुछ महाक्रान्ति कर देंगे तो ये आपका भ्रम है। जस्टिस आनंद सिंह ने इस लड़ाई में जो झेला है क्या आपको पता है वो कहते हैं जियोगे तब लड़ोगे। जान दे कर भाग जाना कायरों का काम है। आप किस कानून की दुहाई दे रहे हैं जो भ्रष्ट नेता मिल कर बना लेते हैं उसे आप कानून कहते है और जो आम आदमी के हित में हो वो गैर कानूनी??? आप संविधान की मूल आत्मा को समझिये और यदि सिर्फ़ आधा लीटर पेट्रोल डालने से पहले जिस्म पर फ़ायरप्रूफ़िंग लेप लगा कर ड्रामा करना चाहते हैं खुद को संसद के सामने आग के हवाले कर देने का तो करिये लोग मजा लेंगे और आप एक कॉमेडियन से अधिक कुछ न रह जाएंगे। ईश्वर आपको सदबुद्धि दे।

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  22. @अनोप मंडल जी
    सबसे पहले आपके उम्दा सोच और विचार के लिए आपका धन्यवाद ..
    आपके इस उम्दा सोच पर मुझे यही कहना है की हर चीज से समझौता करके जीने की लालसा भी कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार को जन्म देता है ,जरा विचारिये अगर आप भ्रष्टाचार के सहारे जीने के लिए मजबूर किये जा रहे हैं तो उससे अच्छा नहीं है की आप प्राण त्याग दें ,क्योकि भ्रष्टाचार तो ना जाने कितनो का प्राण लेकर जिन्दा रहता है ...यह बात अगर मनमोहन सिंह जी तथा सोनिया गाँधी जी नहीं समझ रही हैं तो ये उनका भ्रम है....?

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  23. जय कुमार झा जी,

    शिव साहब की टिप्पणी पर गौर करें, दो तीन बार शान्ती से पढ लें।
    और इस पोस्ट को यहां से हटा लें, यह सही समाधान है।

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  24. @आदरणीय एवं प्रिय झा जी

    देरी से आने के लिए क्षमां चाहूँगा लेकिन आजकल मैं अपने कार्यों में बहुत अधिक व्यस्त हूँ लेकिन Sir ये क्या पागलपन है ? आप जैसा अनुभवी और जुझारू व्यक्ति ऐसा सोच भी कैसे सकता है ?

    माना की आज देश के हालात बहुत गंभीर हैं लेकिन आपके इस प्रकार के कदम से देश का और ईमानदार लोगों का बहुत अधिक नुक्सान होगा ,आप खुद सोचिये इस कदम का नतीजा - देश में से एक और ईमानदार व्यक्ति का अंत और बेईमानों को बहुत अधिक फायदा की चलो उनकी बेईमानी का पर्दाफाश करने वालों की लिस्ट में से और उनकी राह का एक और काँटा हटा, आपके इस कदम से देशद्रोही और भ्रष्ट लोगों के तंत्र को ही फायदा होगा ना की अच्छे लोगों को ,उनकी संख्या में तो इससे कमी ही आएगी

    आपके इस कदम से राष्ट्र का हित कम और अहित अधिक है

    साथ ही अदा जी की बातों पर भी गौर करिये की -आप ऐसा करके अपने परिवार के प्रति जो नाइंसाफी कर रहे हैं उसकी जवाबदेही किसकी होगी....? पत्नी और बच्चों को इस तरह मझधार में छोड़ कर जाना सबसे बड़ा पाप है...देश के लिए हम सबकी जिम्मेवारी है..लेकिन परिवार के प्रति भी है....

    सो आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है की इस कदम को अपने दिलों दिमाग से निकाल दें और पहले की भाँती अपना कार्य करें


    महक

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  25. जय कुमार झा जी,
    मेरे प्यारे दोस्त, आप से बिलकुल सहमत है प्रशाशन और नेताओं में किस कदर भ्रष्टाचार का नंगा खेल हो रहा है |
    दिल्ली में ही देखिये राष्ट्र मंडल खेल में किस तरह से सड़क परिवहन के नाम पर सरकार में सम्मलित अपने ही लोग आपस में जूतम पैजार कर रहे है और जिस तरह से थूक पोलिस हो रही है पूरी दिल्ली में सड़क बनाने के नाम पर , न जाने हम दिल्ली वासियों को राष्ट्र मंडल खेल से पहले ही कोई बड़ा खेल हादशे के रूप में देखने को न मिल जाए |

    परन्तु ऐसे भ्रष्ट अधिकारी या नेता क्या सिर्फ २-४ ही है , जिसका अपने नाम लिया है , वर्तमान में अगर देखा जाय तो वो फ़िल्मी डायलोग याद आता है जिसमे कहा गया था की "सौ में से नब्बे बेईमान फिर भी मेरा देश महान" |
    हम सब आपके साथ है परन्तु ये फैसला बहुत ही जल्दबाजी होगी , हमें एकजुट होकर, रावन रूपी भ्रष्ट अधिकारी जिसकी तादाद बहुत ही ज्यादा है , उसके साथ लड़ना होगा | आपको मैं अच्छी तरह से जनता हूँ , आपकी अंतरात्मा पीड़ित है, लेकिन साथ में अब मेरी सलाह होगी आप अपनी जोश और होश को नियंत्रण में रखें | देर से ही सही परन्तु दुरुस्त होगी |

    अपनी जीवन लीला को समाप्त करने की बात आप बिल्कुल नहीं करेंगे क्यूंकि ऐसा ही वो चाहते है की इस तरह की आवाज को कुचल दिया जाय, दबा दिया जाय तो एक तरह से आप उन भ्रष्ट राजनेता का साथ दे रहे है उनके सुर में सुर मिलाकर | आप अपनी आवाज की बुलदियों को इतनी दूर तक ले जाएँ जहाँ से ऐसे भ्रष्ट लोगों का जीना हराम हो जाए |

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  26. जय कुमार झा जी,
    मेरे प्यारे दोस्त, आप से बिलकुल सहमत है प्रशाशन और नेताओं में किस कदर भ्रष्टाचार का नंगा खेल हो रहा है |

    दिल्ली में ही देखिये राष्ट्र मंडल खेल में किस तरह से सड़क परिवहन के नाम पर सरकार में सम्मलित अपने ही लोग आपस में जूतम पैजार कर रहे है और जिस तरह से थूक पोलिस हो रही है पूरी दिल्ली में सड़क बनाने के नाम पर , न जाने हम दिल्ली वासियों को राष्ट्र मंडल खेल से पहले ही कोई बड़ा खेल हादशे के रूप में देखने को न मिल जाए |

    परन्तु ऐसे भ्रष्ट अधिकारी या नेता क्या सिर्फ २-४ ही है , जिसका अपने नाम लिया है , वर्तमान में अगर देखा जाय तो वो फ़िल्मी डायलोग याद आता है जिसमे कहा गया था की "सौ में से नब्बे बेईमान फिर भी मेरा देश महान" |

    हम सब आपके साथ है परन्तु ये फैसला बहुत ही जल्दबाजी होगी , हमें एकजुट होकर, रावन रूपी भ्रष्ट अधिकारी जिसकी तादाद बहुत ही ज्यादा है , उसके साथ लड़ना होगा | आपको मैं अच्छी तरह से जनता हूँ , आपकी अंतरात्मा पीड़ित है, लेकिन साथ में अब मेरी सलाह होगी आप अपनी जोश और होश को नियंत्रण में रखें | देर से ही सही परन्तु दुरुस्त होगी |

    अपनी जीवन लीला को समाप्त करने की बात आप बिल्कुल नहीं करेंगे क्यूंकि ऐसा ही वो चाहते है की इस तरह की आवाज को कुचल दिया जाय, दबा दिया जाय तो एक तरह से आप उन भ्रष्ट राजनेता का साथ दे रहे है उनके सुर में सुर मिलाकर | आप अपनी आवाज की बुलदियों को इतनी दूर तक ले जाएँ जहाँ से ऐसे भ्रष्ट लोगों का जीना हराम हो जाए |

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