आज प्रस्तुत है व्यवस्था पर व्यंग श्रृंखला में " दिल्ली मेरी जान" विषय पर एक कविता आप लोगों की सेवा में --------
"दिल्ली मेरी जान"
दिल्ली मेरी जान है /
शीला जी जैसी मुख्यमंत्री इसकी शान हैं /
दौरती है यहाँ लो-फ्लोर चमचमाती बसें /
जिसके भीतर है भ्रष्टाचार कि कई परतें घुंसी /
यातायात को बर्बाद कर भ्रष्टाचार को आबाद किया /
लोगों कि जेबें काटकर मंत्रियों को आबाद किया /
इस दिल्ली में है फ्लाई-ओवर कि भरमार /
जिसके बोझ तलें दिल्ली कि जनता का जीवन बेकार /
झुग्गियों के पुनर्वास के नाम पर वर्षों से /
होता रहा भ्रष्टाचार का पुनर्वास कई-कई वर्षों से /
यहाँ कॉमनवेल्थ के मेले कि तैयारी है /
जिससे लोगों में अजीब सी खुमारी है /
यहाँ के ओद्योगिक क्षेत्र में सड़के हैं खस्ता हाल /
लेकिन मंत्रियों के क्या खूब हैं ,हाल-चाल /
न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलता,यहाँ कामगारों को /
कई-कई गुना मिल जातें हैं,मंत्रियों और अधिकारियों को /
DDA के फ्लेटों कि भरमार है /
लेकिन उसे पाना और बसना दुशवार है /
मिलता नहीं यहाँ मुफ्त पानी कहीं पीने को /
कहने को है देश कि राजधानी जीने को /
शिक्षा मंत्रालय में जब अरविंदर सिंह लवली आयें /
स्कूल प्रबंधकों के लिए खुशखबरी लायें /
जब से अरविंदर सिंह लवली यातायात मंत्रालय में आयें /
बस से यातायात करने वाले हैं घबराये-घबराये /
पूरे देश के रखवाले यहाँ रहतें हैं /
लेकिन देश कि रखवाली कहाँ करतें हैं /
कहने को "दिल्ली" देश कि जान और शान है /
लेकिन आम लोगों के लिए तो परेशान,बेहाल-फटे-हाल है /
कॉमनवेल्थ गेम में देश और विदेश से आयेंगे लोग कई /
देखेंगे इस दिल्ली का असल आत्मा और मुखौटा नयी /
यमुना यहाँ बहती है /
इस दिल्ली के गंदगी और भ्रष्टाचार कि कहानी कहती है /
यमुना यहाँ बहती है /
ReplyDeleteइस दिल्ली के गंदगी और भ्रष्टाचार कि कहानी कहती है /
तभी तो यमुना इतनी गंदी हो गई गंदे नाले जेसी...
बहुत सुंदर कविता कही आप ने धन्यवाद
A to Z......All are corrupt !
ReplyDeleteWo subha kabhi to aayegi..