Monday, April 19, 2010

आयकर विभाग का नोटिस ,जाँच एजेंसियों का नोटिस ,जाँच आयोग व विभिन्न आयोगों का नोटिस --दिस इज टू मच ! ! ! !


                                              
                             आज हमारे देश में जिस तरह एक औरत के साथ बलात्कार होने पड़ उस औरत के शरीर से ज्यादा उसका दिल और दिमाग इतना टूट जाता है कि  उसका इलाज डोक्टर भी नहीं कर पाता  है / ठीक उसी प्रकार हमारे देश के इमानदार और कानून का पालन करने वाले लोगों का दिल और दिमाग सरकारी बलात्कार से इतना टूट चुका है कि वह गुम-सुम होकर कुछ भी बोलने कि हालत में नहीं है / 
ऐसी अवस्था के बाबजूद जब वह TV और अखवार में आये दिन ह़र भ्रष्टाचार के लिए भ्रष्टाचारियों को आयकर विभाग का नोटिस ,जाँच एजेंसियों का नोटिस ,जाँच आयोग व विभिन्न आयोगों का नोटिस कि ख़बरें पढता है और उसे एक भी जाँच के तर्कसंगत अंत तक पहुँच कर किसी को सख्त सजा कि ख़बरें सुनने को नहीं मिलती है ,तथा अदालतों से निकलते वक्त अपराधियों के कानून को जूते तले मसलने कि जालिम मुस्कान देखने को मिलती  है तो,आम जनता को ठीक वैसा ही महसूस होता है ,जैसे किसी बलात्कार से पीड़ित औरत को न्याय के बदले एक और बलात्कार से गुजरने पर महसूस होता है ,दिस इज टू मच प्रधानमंत्री जी ,बंद कीजिये ये ड्रामा ? 
                      क्या फायदा है ऐसे जाँच एजेंसियों और सरकार का जिसके नाक के नीचे सारे घोटालों को अंजाम दिया जाता है और सारी कि सारी व्यवस्था नोटिस भेजकर जनता को बेबकूफ बनाने में व्यस्त रहती है /
                 प्रधान मंत्री जी आपके नाक के नीचे DTC के बसों के खरीद का घोटाला ,कोमनवेल्थ गेम के नाम पर घोटाला ,DDA और भूमाफिया के गठजोर का घोटाला ,MCD में फर्जी कर्मचारियों का घोटाला और भी ना जाने कितने घोटाले ,CAG के आपत्तियों के बाबजूद आप और आपके सारे जाँच एजेंसियों ने क्या किया ?
                                                           अब तो जनता को न्याय चाहिए जो आपके कठोर फैसले और मानवीय सोच से उपजी संवेदनाओं के आधार पर न्याय के लिए उठाये गए आपके एकदम सटीक कदम से ही संभव है / अगर आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो बंद कर दीजिये ये जाँच एजेंसियों कि दुकान / आज देश को आधुनिक हथियारों कि नहीं बल्कि कानून और व्यवस्था दोनों क्षेत्र में मजबूत और निड़र निर्णय लेकर उसे सफलता से लागु करने वाले अधिकारियों और सेनानियों कि सख्त जरूरत है ,जिसकी कमी भी नहीं है हमारे देश में / बस जरूरत है उन्हें ढूंढकर सही जगह बैठाने कि /
                     आप माने या ना माने कुछ सुझाव दे रहा हूँ -1 -अपने कार्यालय से ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाईये जिनको भ्रष्टाचार और अपराध के जाँच कि समझ नहीं है या ऐसा करने कि इक्षाशक्ति बिलकुल मर चुकी है / 
2 -मुख्य सूचना आयुक्त ,मुख्य सतर्कता आयुक्त ,RAW,IB,CBI,इत्यादि के मुखिया के पदों पड़ निड़र और न्याय के रास्ते में आने वाले किसी भी तूफ़ान से टकराने का माद्दा रखने वालों को जगह दीजिये और संसाधन मुहैया कराकर प्रतिदिन जाँच कि प्रगति करने को कहिये  / आज दब्बू अधिकारियों से काम नहीं चलने वाला बल्कि जरूरत है ,किरण बेदी जैसे सख्त और इमानदार अधिकारियों को गलत लोगों को सलाखों के पीछे ह़र हाल में भेजने का जिम्मा देने कि और अपराध नियंत्रण कानून को सख्ती से लागू करने कि /
3 -शर्मनाक है कि RTI कानून के तहत आये आवेदनों में  सिर्फ 27 % आवेदक को ही जानकारी मिल पाती है ,तय समय में या झूठि जानकारी मुहैया कराने वाले 98% सूचना अधिकारी को सिर्फ गलती सुधारें कहकर छोड़ दिया जाता है , आपके दिल्ली में ही कानून और व्यवस्था कि धज्जियां उरायी जाती हैं और पुलिस मूक बनी देखती रहती है / आप इस देश के मुखिया हैं ,आप बताईये कि क्या ऐसी स्थिति आपके लिए भी शर्मनाक  नहीं है  ?खासकर तब जब आपकी सरकार पाँच वर्षों से ज्यादा वक्त से शासन में है और आप भी /   

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