Friday, April 23, 2010

ब्लॉग--सत्ता--जनता------

आज व्यवस्था पर व्यंग श्रृंखला में "ब्लॉग--सत्ता--जनता"विषय पर एक कविता आप लोगों कि सेवा में प्रस्तुत है -------
                    

                     "ब्लॉग--सत्ता--जनता"





जनता हाहाकार कर रही है /
सत्ता हुंकार भर रही है /
ब्लॉग इस पड़ विचार कर रही है /
जनता महंगाई कि मार झेल रही है /
सत्ता महंगाई को विकाश कह रही है /
ब्लॉग और ब्लोगर कुछ करना चाह रही है /
भ्रष्टाचार के नंगे नाच को,अपने नजर से ब्लॉग पे उतार रही है /
IPL का  BPL से कड़ी भी जोड़ रही है / 
विपक्ष शोर मचा रही है /
चोर-चोर चिल्ला रही है /
विपक्ष कि भी मजबूरी है /
पेट भरना सब के लिए जरूरी है  /
जब से नितिन गडकरी आये /
बीजेपी और विपक्ष में थोरी बहुत मजबूती लाये /
मीडिया भी इस खेल में शामिल हो गई है /
मजबूरी में,सत्ता के समर्थन में,गाने गा रही है /
ब्लॉग और ब्लोगर यह सब जाँच रही है,
और ब्लॉग-जगत में एकजुटता चाह रही है /
जनता परेशान है /
सत्ता खुशहाल है /
ब्लॉग और ब्लोगर हाले-बयाँ कर रही है /
जनता उस दिन का इंतजार कर रही है /
ऐसे सत्ता कि कब्र खोदने कि घड़ी,नजदीक आ रही है /
ब्लॉग और ब्लोगर अपना काम कर रही है /
ऐसे सत्ता के कब्र के जगह का,देश में इंतजाम कर रही है /
इतना तो तय है ,एक दिन ऐसा आएगा /
जनता कि हाय,ऐसे सत्ता को खाकर मिटाएगा ?
चोर -उच्चके नगर भिखारी होंगे /
आम जनता और इमानदार सत्ता के प्रभारी होंगे /
ब्लॉग और ब्लोगर इसके उत्तराधिकारी होंगे /

1 comment:

  1. बहुत सूब रचना आप ने आज का सच लिखा है.
    धन्यवाद

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