Saturday, April 24, 2010

कॉमनवेल्थ गेम -----?

आज व्यवस्था पर व्यंग श्रृंखला में आप लोगों के सामने प्रस्तुत है "कॉमनवेल्थ गेम" विषय पर एक कविता -----

                     "कॉमनवेल्थ गेम"


कहने को ये कॉमनवेल्थ गेम है / 
असल में यह दिल्ली के कॉमन जनता के वेल्थ को छीनने  का खेल है /
इसके नाम पर भ्रष्टाचार कि कई नदियाँ बही /
सात सौ कड़ोर से सत्रह सौ कड़ोर ही सही /
छोटे भ्रष्टाचारियों का ये खेल नहीं /
बड़े-बड़े भ्रष्ट खिलारियों का सही गेम यही /
कई भ्रष्ट कुकर्मी हो गए मालामाल /
दिल्ली कि जनता का किया इसने बुरा हाल /
इसके नाम पे DTC में नयी बसें आई /
टिकटों  के नाम पे लूट ली गयी 
आम जनता की सारी कमाई /
छात्र,छात्राओं के बस-पास का बढाया इसने रेट भी /
माता-पिता के काटे इसने जेब और पेट भी /
बिना जरूरत के बने कई प्रोजेक्ट इस वास्ते /
जिससे जुड़ें है भ्रष्टाचार के गहरे रास्ते /
 यह सब देख जनता रो रही है /
अपने भ्रष्ट नेताओं को रो-रो कर कोस रही है /
अब तो जनता का एक ही सपना है /
भविष्य में लगे ऐसे गेमों पर पाबंदी और 
भ्रष्ट मंत्री और अधिकारी हो,तिहार जेल में बंदी /


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3 comments:

  1. बहुत सही कहा जी आप ने.

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  2. ye wo bhasmaasur hain jinhen humne hi badhaawaa diyaa hai. commonwealth games ke pahle is desh men cricket par pratibandh lagna chahiye.
    anandkrishan, jabalpur
    http://www.hindi-nikash.blogspot.com

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