Thursday, April 29, 2010

क्या ऐड वर्ल्ड बीमार ,मीडिया भूखा और कम्पनियों को अपने उत्पाद पे भरोसा नहीं------ ?

                                                             
आज बड़े-बड़े तथाकथित ब्रांड का दावा करने वाले ,चाहे वह मारुती हो,कोका कोला हो ,जे.के.सीमेंट या और कोई कम्पनियों के विज्ञापन को जरा गौर से देखिये तो पायेंगे क़ी ये विज्ञापन अपने उत्पाद का कम, लेकिन महिलाओं के उस मांसल सौन्दर्य,जिसे कुदरत ने बच्चों को भोजन देने के उद्देश्य से महिलाओं में निर्माण किया है या सेक्स क़ी किसी न किसी बातों के सहारे अपने उत्पाद को बेहतर दिखाने क़ी कोशिस कर रहा है /

अब जरा गौर करने  वाली बात है क़ी सीमेंट के विज्ञापन में  एक लड़की को स्विमिंग सुइट पहनाकर  उसके मांसल सौन्दर्य को TV पे प्रचारित करने के पीछे क्या मकसद हो सकता है ?
  
इसके जवाब में मुझे मेरे एक मित्र ने कहाँ कि ,इसका मतलब है कि ,भ्रष्ट इंजिनियरों और ठेकेदारों को यह ऐड दिखाकर,यह समझाया जा रहा है कि ,सरकारी कामों में अब गुणवत्ता कि जाँच कौन करता है,इसलिए सीमेंट कि गुणवत्ता को मत देखो / लेकिन इस भ्रष्ट खेल के पीछे तुम्हे इस तरह का शबाब और शराब के  गुणवत्ता कि पूरी गारंटी है / मैं यह जवाब सुनकर हैरान रह गया / मैंने जब उनसे इस सीमेंट को क्या आप खरीदोगे ? यह सवाल किया / तो उनका जवाब था ,इस विज्ञापन के बाद तो मैं इस सीमेंट को खरीदना तो दूर ,लोगों को भी नहीं खरीदने क़ी सलाह दूंगा / उनका ऐसा जवाब सुनकर मुझे यह महसूस हुआ क़ी अभी भी महिलाओं का इस तरह भद्दा प्रदर्शन करने वालों का विरोध करने वाले लोग मौजूद हैं /

कुछ लोगों ने तो इस ऐड कि कानूनी तौर पे शिकायत भी क़ी / मैंने भी कई TV चेनलों के प्रबंधकों को उनके व्यक्तिगत मोबाइल पर फोन कर इस ऐड को नहीं दिखाने का आग्रह किया /

अब सवाल उठता है क़ी क्या ऐसे ही विज्ञापनों से उत्पाद को बेचा जा सकता है ? जवाब है नहीं / क्योंकि उत्पाद को प्रचारित करने से सिर्फ उत्पाद नहीं बिकने लगता है / बल्कि उत्पाद क़ी गुणवत्ता और लोगों क़ी भावना दोनों ही बातों का ध्यान अगर विज्ञापन में प्रमुखता से दिखाया जाय तो ,ऐसे ऐड के प्रभाव से ज्यादा प्रभाव पड़ेगा / इस तरह के ऐड का कभी-कभी तो इतना नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क़ी लोग अच्छे उत्पाद को भी खरीदना इस लिए बंद कर देते हैं क़ी,उसके विज्ञापन में सामाजिक परिवेश को खराब  करने वाले तत्व मौजूद होते हैं / 

ऐसे ऐड को बनाने वाले और कुछ लोभी TV चैनलों के कर्ता-धर्ताओं का तर्क है क़ी ,ऐसे ऐड को लोग ज्यादा देखते हैं,इसलिए हम बनाते और दिखाते हैं / ऐसे बीमार तथाकथित क्रिएटिव ऐड डायरेक्टरों को मेरा सन्देश यह है क़ी ,वे एक दिन नंगा होकर बाजार में चलें लोग उनको भी ज्यादा देखेंगे ?    

अब सवाल उठता है क़ी क्या ऐसे ऐड को रोका जा सकता है / जवाब है जब लोग ऐसे ऐड के खिलाप शिकायत करेंगे और ऐसे ऐड देने वाले कम्पनियों के उत्पाद को खरीदना बंद कर देंगे तो ऐसे ऐड दिखने भी बंद हो जायेंगे / 

अब सवाल उठता है क़ी ऐसे ऐड बनने के पीछे कारण क्या है तो इसका सीधा सम्बन्ध सेक्स,भ्रष्टाचार और भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था से है / इस तरह के ऐड बनाने वाले निश्चय ही बीमार है और इस तरह के ऐड को बिना सामाजिक सरोकार क़ी समीक्षा किये प्रसारित करने वाले पैसों के भूखे हैं ,तथा इस तरह समाज के सेक्स भावना को गन्दा कर ,अपने उत्पाद बेचने वाले को अपने उत्पाद पर भरोसा नहीं है ,या वह सोचती है क़ी उसके उत्पाद को ऐसे  ही सोच वाले लोग खरीदेंगे या संभवतः उसे कोई गुमराह कर रहा है ?

निश्चय ही यह गम्भीर मुद्दा है जिस पर इस व्यवस्था से जुड़े जिम्मेवार लोगों और सरकार में महिलाओं के कल्याण के लिए बैठे लोगों को गंभीरता,ईमानदारी और अपनी सामाजिक जिम्मेवारी से सोचने क़ी जरूरत है / तबतक तो यही कहा जा सकता है क़ी ,ऐड वर्ल्ड बीमार ,मीडिया भूखा और कम्पनियों को अपने उत्पाद पे भरोसा  नहीं है /

7 comments:

  1. जिस चीज का मै विग्यापन देखता हुं, कभी भी उस कम्पनी का समान नही खरीदता, क्योकि जो निक्क्मी चीज है उसी की तारीफ़ ज्यादा होती है.

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  2. सर जी की बात पूरी तरह सही ! कभी कभी जब टी वी देकते वक़्त ऐसा कोई विज्ञापन आता है और कोई छोटा बड़ा साथ होता है तो लगता है के टी वी को ही तोड़ दे .....शर्म आनी चाहिए इन्हें ..
    अगर यह कहा जाये की मीडिया भूखा है गलत नई है इस सब को देख तो मीडिया का यही रूप सामने आता है और आने वाले समय मैं इसकी कल्पना करना भी भयानक लगता है बडे पूँजी पतियों की और ऐसे पैसे के लालची लोगो का बस चले तो हमारे सांस्कृतिक और सभ्य देश को भी सेक्स फ्री बना दे और फिर राजनेता इस बात पर राजनीती करे !

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  3. www.jitendrafaridabad.blogspot.com


    थोडा बहुत हम भी लिखते है वक़्त मिले तो देखना ....अभी नया हु सर जी ....और चाहता हु के आप का मार्गदर्शन मिले ....!

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  4. ...अब क्या कहें ... सीमेंट के न जाने कितने ऎड आते होंगे पर ...पर किसी का इतना ध्यान उन पर नहीं गया होगा जितना इस ऎड पर गया ... मतलब वो ऎड दिखाने मे सफ़ल हुये ... नहीं तो कौन जानता था कि "जे के सीमेंट" भी होता है!!!
    .... वैसे आप के विचार/लेख से सहमती है !!!

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  5. जय जी, क्या आपका कोई फेसबुक खाता है?
    मैं फेसबुक में आपसे मित्रता करना चाहता हूं क्योंकि आपके मेरे विचार एक जैसे हैं| मेरा फेसबुक पता है: http://facebook.com/ankurgupta555

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  6. अब सवाल उठता है क़ी ऐसे ऐड बनने के पीछे कारण क्या है तो इसका सीधा सम्बन्ध सेक्स,भ्रष्टाचार और भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था से है /

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